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भोजपुरी पर ग़ज़लें

भोर आके कतो

जगन्नाथ

घटी का, बढ़ल

गहबर गोवर्द्धन

सभकर मिजाज बाटे

गहबर गोवर्द्धन

आफत प बाटे आफत

गहबर गोवर्द्धन

अब गुलालो त असली

गहबर गोवर्द्धन

जर रहल बा गाँव

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

पाँव कतनो जरी

गहबर गोवर्द्धन

हवा में बा

जगन्नाथ

ना सुने के

गहबर गोवर्द्धन

साँस पर राग

गहबर गोवर्द्धन

एकहू बून पानी घटा

गहबर गोवर्द्धन

संकोच, डर, दया

गहबर गोवर्द्धन

कही का, करी का

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

अतना गुमान काहे

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

कतहीं चइता कतहीं

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

काहे उनका अभी

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

बस नजाकत, तकल्लुफ

गहबर गोवर्द्धन

प्रीत के पाहुन

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

प्यार जग के सार

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

तू याद-झरोखे आ जा

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

बढ़त चान पर तक

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

दरदे अबले उपहार

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

नाव-नदी संयोग

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

घुट-घुट मरत बा

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’