Font by Mehr Nastaliq Web

सौंदर्य पर कविताएँ

सौंदर्य सुंदर होने की

अवस्था या भाव है, जो आनंद और संतोष की अनुभूति प्रदान करता है। सौंदर्य के मानक देश, काल, विषय और प्रसंग में बदलते रहते हैं। प्रस्तुत चयन में उन कविताओं को शामिल किया गया है; जिनमें सुंदरता शब्द, भाव और प्रसंग में प्रमुखता से उपस्थित है।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

तितली

नर्मदाप्रसाद खरे

हाथ

केदारनाथ सिंह

शृंगार

आलोकधन्वा

युवा होता बेटा

पल्लवी विनोद

एक धुन

आशीष त्रिपाठी

वह

अमर दलपुरा

फागुन का गीत

अजित पुष्कल

पारिजात

प्राची

जेएनयू में वसंत

आमिर हमज़ा

सौंदर्य

निरंजन श्रोत्रिय

उतना ही असमाप्त

कुँवर नारायण

जब पीले ने कहा

राजेश सकलानी

ख़ूबसूरती

सारुल बागला

टूटती धार

दिनेश कुमार शुक्ल

केन किनारे

अजित पुष्कल

एकांत

सारुल बागला

सुखार्थ

मानसी मिश्र

सावन में यह नदी

कृष्ण मुरारी पहारिया

कटहल

प्राची

शिल्पी

बेबी शॉ

बारिश

विजय राही

अजीब उपस्थिति

निकेफ़ोरॉस व्रेताकॉस

तुम्हारा जाना

अजित पुष्कल

सुंदर कविता

प्रदीप सैनी

नदी तुम इस किनारे हो

विनोद कुमार शुक्ल

मनुष्यता

बेबी शॉ

सपने और समाज

अमर दलपुरा

दुल्हन

राजेश सकलानी

जैसे सब चल रहा है

विनोद कुमार शुक्ल

औरत को शृंगार

किसलय त्रिपाठी

औरत एक देह है?

प्रीति चौधरी

प्रेम-प्रभात

कुंजकिरण

दुनिया का गुलाब

विलियम बटलर येट्स

स्त्री के पैरों पर

प्रियंका दुबे

अंततः

अलेक्सांद्र ब्लोक

एक प्रश्न

सौरभ अनंत

तिल

पंकज चतुर्वेदी