पर्वत पर कविताएँ

पर्वत भू-दृश्य भारतभूमि

की प्रमुख स्थलाकृतिक विशेषताओं में से एक है जो न केवल स्थानीय जीवन और संस्कृति पर अपना विशिष्ट प्रभाव रखता है, बल्कि समग्र रूप से भारत के सांस्कृतिक अनुभवों में भी अपना योगदान करता है। इस चयन में पर्वत-पहाड़ विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

पहाड़ पर लालटेन

मंगलेश डबराल

आत्म-मृत्यु

प्रियंका दुबे

शहर फिर से

मंगलेश डबराल

ऊँचाई

अटल बिहारी वाजपेयी

पहाड़ पर चढ़ने के लिए

पद्मजा घोरपड़े

शिमला

अखिलेश सिंह

स्वप्न

सौरभ अनंत

अकेला पहाड़

सौरभ अनंत

नदी, पहाड़ और बाज़ार

जसिंता केरकेट्टा

आँख भर देखा कहाँ

जगदीश गुप्त

पहाड़ से मतलब

प्रमोद कौंसवाल

जोशीमठ में दरारें

खेमकरण ‘सोमन’

जिप्सी लड़की

अवधेश कुमार

जहाँ बर्फ़ गिरती होगी

अंकिता शाम्भवी

पत्थर

शरद बिलाैरे

दशरथ माँझी

निर्मला गर्ग

पहाड़

कुमार मुकुल

या

शैलेय

प्योली और चिड़िया

अनिल कार्की

छुअन

मुदित श्रीवास्तव

भीगना

अमेय कांत

पहाड़-4

ब्रजरतन जोशी

ईजा और हिमाल

अनिल कार्की

चाँदनी के पहाड़

दिनेश कुमार शुक्ल

नदी का आवेग

जगदीश गुप्त

पहाड़ी औरतें

रुचि बहुगुणा उनियाल

पहाड़ और दादी

कल्पना पंत

दुखों से ऊँचा देवदार

प्रियंका दुबे

काफल पाको

मनोहर श्याम जोशी

पहाड़ों से प्रेम

प्रज्वल चतुर्वेदी

तस्वीर

लाल्टू

होरे

अनिल कार्की

पहाड़ों के जलते शरीर

वंशी माहेश्वरी

पहाड़ में औरत

हरीशचंद्र पांडे

जोशीमठ

सौम्य मालवीय

जोशीमठ की घंटी

धीरेंद्र 'धवल'

सर्दियों में

कल्पना पंत

जोशीमठ

कल्पना पंत

पहाड़-16

ब्रजरतन जोशी

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