शम्स तबरेज़ी के उद्धरण
जब तू बुद्धि को अपना पथ-प्रदर्शक मानता है, उस समय तू यह नहीं विचार करता कि तू पूर्ण है और तुझमें व तेरे अंश बुद्धि में अंतर है।
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ख़ुद के प्रति समर्पण ही सच्ची शक्ति है—वह शक्ति जो भीतर से आती है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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हर किसी का समय तय है। एक व्यक्ति कब प्यार में पड़ेगा और कब इस दुनिया को अलविदा कहेगा, इन सबका समय तय है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
सत्य का मार्ग खोजने के लिए हमें दिमाग़ की नहीं, बल्कि दिल की ज़रूरत होती है। सच्चा मार्ग खोजने के लिए हमें अपने दिमाग़ की नहीं, बल्कि दिल की राह पर चलना चाहिए।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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समझ और प्रेम अलग-अलग चीजों से बने होते हैं। समझदारी लोगों को गांठों में बांध देती है और इसमें कोई ख़तरा नहीं लेता है, लेकिन प्यार में कई उलझनें हैं और इसमें हर तरह के ख़तरे हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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इस दुनिया में उतने ही नकली और क्षुद्र गुरु हैं, जितने आसमान में तारे हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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प्यार की तलाश में इंसान को बदलना पड़ता है। प्यार की तलाश उन लोगों के लिए नहीं है, जो ख़ुद को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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एक सूफ़ी ईश्वर से मिली सभी चीज़ों के लिए आभारी होता है और उन चीज़ों के लिए भी, जो उसे नहीं मिली हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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अगर आप चाहते हैं कि लोग आपके साथ व्यवहार करने का तरीका बदलें, तो सबसे पहले आपको ख़ुद के साथ व्यवहार करने का तरीका पूरी तरह से और भरोसे के साथ बदलना होगा—तभी आप प्यार पा सकते हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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किसी की मूर्ति नहीं बनानी चाहिए, क्योंकि इससे आपकी आँखें धुंधली हो जाएँगी।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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यह जो सब कुछ है वह नाशवान है। ईश्वर के अतिरिक्त जितने नाम हैं, वे सब नष्ट होने वाले हैं।
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क्या दुनिया पारस्परिकता पर चलती है? इसका मतलब है कि आप जो अच्छे कर्म करेंगे, वह आपके साथ होगा और जो बुरे कर्म करेंगे—वह भी आपके साथ होगा।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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हर पल इंसान को ख़ुद को फिर से नया बनाना चाहिए। मृत्यु से पहले हमें एक बार और मरना पड़ता है, तभी हम एक नया जीवन शुरू कर पाते हैं। सिर्फ हमारे अंदरूनी हिस्से बदलते हैं और हम वही रहते हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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जिस मनुष्य को परमात्मा ने ही मार्ग नहीं दिखलाया, बुद्धि (तर्क-वितर्क) के प्रयोग मात्र से उस पर कोई रहस्य नहीं खुलेगा।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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हम में से हर कोई अपनी समझ के हिसाब से कुरान की व्याख्या करता है। व्याख्या करने के चार तरीके हैं। पहला तरीका है : केवल बाहरी अर्थ को समझना, जिससे ज्यादातर लोग संतुष्ट हो जाते हैं। दूसरा तरीका है : आंतरिक अर्थ को समझना जिसे बातें भी कहते हैं। तीसरा तरीका है : आंतरिक आत्मा को समझना। और चौथा तरीका इतना गहरा है कि उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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चाहे जीवन में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ और आपके सामने कोई रास्ता न हो, फिर भी आपको ख़ुद को टूटने से बचाना चाहिए।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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जैसे ही आप अपना पहला कदम उठाते हैं, उसके बाद जो होता है उसे होने दें। हमें बहाव के साथ नहीं बहना चाहिए, बल्कि हमें ख़ुद को बहाव के मुताबिक़ बनाना चाहिए।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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धैर्य का मतलब सिर्फ़ सहन करना नहीं है, बल्कि व्यक्ति को परिस्थिति के परिणाम के बारे में सोचना होगा। कांटा देखने के बाद गुलाब देखना, रात देखने के बाद सुबह देखना—ये सब होता है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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एक सच्चा और आध्यात्मिक गुरु कभी नहीं चाहेगा कि आप ख़ुद को महिमामंडित करें या सम्मान दें। बल्कि, वह आपको ख़ुद को पसंद करने और ख़ुद का सम्मान करने की सलाह देगा। वे कांच की तरह पारदर्शी होते हैं। वे ईश्वर के प्रकाश को अपने से होकर गुज़रने देते हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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शक्तिशाली और आत्म-धर्मी लोगों को बिना सोचे-समझे कभी गुरु नहीं बनाना चाहिए।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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अकेले होने और अकेलेपन में फ़र्क़ है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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हम सभी एक व्यक्ति के दु:ख से परेशान होंगे, और एक व्यक्ति को ख़ुश करके हम सभी ख़ुश होंगे।
अनुवाद : सरिता शर्मा
दया अथवा क्रोध परमात्मा को ही शोभा देता है। मनुष्य की भलाई केवल धैर्य धारण करने और ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकाश करने में ही है।
एक सूफ़ी कभी किसी चीज़ के दायरे से बाहर नहीं जाता, बल्कि हमेशा दायरे में ही रहता है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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भगवान ने हर चीज को विस्तार से बनाया है। भगवान के आदेश से हर चीज अपने समय पर चलती है, न एक मिनट पहले और न ही एक मिनट बाद।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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जो लोग ख़ुद को जीवन के प्रति समर्पित कर देते हैं, उन्हें कोई चिंता नहीं होती और वे शांति का जीवन जीते हैं, जबकि पूरी दुनिया मुसीबतों पर मुसीबतों से जूझ रही होती है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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अरे जो तुम हज को चले हो, तो कहाँ जा रहे हो? कहाँ जा रहे हो? तुम्हारा प्रिय तो यहीं है—लौट आओ, लौट आओ!
अनुवाद : सरिता शर्मा
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जब भगवान से प्यार करने वाला व्यक्ति शराबख़ाने जाता है, तो वह शराबख़ाने को ही अपना उपासना-गृह बना लेता है। लेकिन जब शराब का आदी व्यक्ति शराब पीने जाता है, तो शराब पीना उसके लिए ही रह जाता है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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संबंधित विषय : ईश्वर
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हम ईश्वर को किसी भी चीज़ या किसी भी व्यक्ति से जान सकते हैं—ईश्वर केवल मस्जिद या चर्च तक ही सीमित नहीं है। लेकिन इतना सब होने के बाद भी; अगर कोई इस बात को लेकर असहज है कि ईश्वर का निवास कहाँ है, तो उसे सच्चे प्रेमी के हृदय में उसे तलाशना चाहिए क्योंकि ईश्वर का निवास अक्सर वहीं होता है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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अस्तित्व जहाँ कहीं भी हो, से अच्छा ही समझना चाहिये। यदि उसमें किसी प्रकार की बुराई होती है, तो वह केवल दूसरों के कारण।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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हर वह मनुष्य जिसके हृदय में कोई संदेह नहीं है, वह यह बात पूर्ण रूप से समझ लेगा, कि एक हस्ती के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं है।
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जब कोई व्यक्ति अकेला हो जाता है, तो उसे यह ग़लतफ़हमी होती है कि वह सही रास्ते पर है। लेकिन अपनी मर्जी से अकेले रहना बेहतर है, क्योंकि अकेलेपन को महसूस किए बिना अकेले रहना बेहतर है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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मैंने ध्यानपूर्वक प्रत्येक बात के तत्त्व को समझ लिया है—गाँठें सेवा करने की निशानी हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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जहाँ प्यार टिका रहता है, वहीं अक्सर खजाने मिल जाते हैं। ख़ज़ाने अक्सर टूटे हुए दिल में पाए जाते हैं।
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संबंधित विषय : प्रेम
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दुनिया समय में आगे नहीं बढ़ती, बल्कि ऐसा लगता है जैसे यह हमारे अतीत से भविष्य की ओर एक सीधी रेखा में जा रही है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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एक बार तू इस क्षणिक जगत् से ऊपर चला जा, और अपने अन्दर एक दूसरे ही जग का निर्माण कर।
अनुवाद : सरिता शर्मा
हम वह नहीं हैं जो हम बनना चाहते हैं, लेकिन कुछ न पाने की हमारी इच्छा हमें आगे बढ़ने की क्षमता देती है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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जिस साधु पुरुष ने परमेश्वर से साक्षात् कर; उसकी आभा को देखा है—उसे प्रत्येक वस्तु में उसी का दर्शन होता है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
इस दुनिया में समानताएँ हमें आगे बढ़ने में मदद नहीं करती हैं, यह बिल्कुल उल्टा है। हम सभी के भीतर समानताएँ हैं, इसलिए आस्तिक को आगे बढ़ने के लिए अपने भीतर के नास्तिक का सामना करना पड़ता है। उस नास्तिक को अपने भीतर छिपे आस्तिक को खोजना चाहिए। उसे तब तक ऐसा करना चाहिए; जब तक वह एक संपूर्ण व्यक्ति न बन जाए, यानी ऐसा व्यक्ति जिसमें कोई दोष न हो।
अनुवाद : सरिता शर्मा
सबसे अच्छी बात यह है कि व्यक्ति को कोई ऐसा मिल जाए, जिसमें वह ख़ुद को आईने में देखता हो। क्योंकि यह बात याद रखनी चाहिए कि हम दूसरे व्यक्ति के हृदय में ख़ुद को सही रूप से देख सकें, और अपने भीतर ईश्वर की उपस्थिति को महसूस कर सकें।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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चाहे आप कितनी भी प्रार्थना करें या अच्छे काम करें, और लोगों का दिल तोड़ दें—वे किसी काम के नहीं हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
जहाँ एक ओर हर व्यक्ति; इस दुनिया में अपना पूरा जीवन लगा कर कुछ बनना चाहता है और फिर उसके मरने के बाद जो कुछ बचता है, वहीं दूसरी ओर एक सच्चा सूफ़ी इस दुनिया से कुछ नहीं चाहता—इस जीवन से हमें शून्य महत्वाकांक्षाएँ रखनी चाहिए।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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किसी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए, बल्कि यथासंभव मदद करनी चाहिए।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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आपके और ईश्वर के बीच कुछ भी नहीं आना चाहिए, यहाँ तक कि कोई इमाम या पादरी या धर्म का कोई बड़ा विद्वान भी नहीं—और न ही आपका ईमान।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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सच्चा सूफ़ी वह है जो अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों, हमलों और बुराइयों को धैर्य के साथ सहता है और बदले में अपराधी के लिए एक भी बुरा शब्द नहीं कहता।
अनुवाद : सरिता शर्मा
चुनौतियों के सामने खड़े होकर और दिल से उनका सामना करके, हम अपने अहंकार को नियंत्रित कर सकते हैं। और हमें पता होना चाहिए कि हमारा अहंकार, हमें ईश्वर के ज्ञान की ओर ले जाएगा।
अनुवाद : सरिता शर्मा
हम नहीं जानते कि हमारा वर्तमान जीवन बहुत बेहतर है, या आने वाले बदलावों के साथ जीवन बहुत बेहतर हो जाएगा। आपको जीवन में आने वाले बदलावों को ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार करना चाहिए और जीवन जीना चाहिए।
अनुवाद : सरिता शर्मा
इस दुनिया का संगीत हर जगह फैला हुआ है और इसमें चालीस स्तर हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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