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बाणभट्ट

छपरा, बिहार

बाणभट्ट के उद्धरण

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बड़े लोगों की बुद्धि स्वभाव से ही स्वतंत्र और अपनी रुचि के अनुरोध पर चलने वाली होती है।

सहस्रों माता-पिता और सैकड़ों पुत्र पत्नियाँ युग-युग में हुए। सदैव के लिए वे किसके हुए और आप किसके हैं?

दानव हो या मानव, मुनि हो या भोले-भाले शंकर, भी सुरलोक की सुंदरियों को कटाक्ष-शृंखला से वह बंध ही जाएगा।

धार्मिक पुरुषों के पास कल्याण संपदाएँ सदैव रहती है।

धन-संपत्ति मिथ्या अभिमान से उन्मत्त कर देती है।

इस सुंदरी का शरीर मनोहर है, वाणी रम्य है तथा चरण-निक्षेप अलौकिक है।

समस्त प्राणियों को खा जाने वाले मृत्युदेव की भूख कभी नहीं बुझती। अनित्यता रूपी नदी अत्यंत तेज़ी से बह रही है। पंचमहाभूतों की गोष्ठियाँ क्षणिक हैं।

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विद्वान, विवेचक, बलवान, कुलीन, धैर्यवान, और उद्योगी मनुष्य को भी यह दुष्ट लक्ष्मी दुर्जन बना देती है।

मनस्विता धन की गर्मी से लता के समान झुलस जाती है।

  • संबंधित विषय : धन

प्रायः अबलाओं के जीवित रहने का अवलंबन पति होता है या संतान।

बिना किसी के गुण-दोष की ओर ध्यान दिए परोपकार करना सज्जनों का एक व्यसन ही होता है।

बुद्धिमान लोग अपनी विशुद्ध बुद्धि से समस्त भली बुरी बातों को देख लेते हैं।

यौवन का आरंभ होते ही कन्याओं के पिता संताप-अग्नि के ईंधन बन जाते हैं।

जो जितेंद्रिय नहीं हैं, उनके नेत्र उच्छृंखल इंद्रिय रूपी अश्वों द्वारा उठी धूल से भर जाते हैं।

विधाता के संसार में सृष्टि के उत्कृष्ट परंतु अदृष्टपूर्ण दृश्य अत्यंत धीर लोगों को भी आश्चर्यचकित कर देते हैं।

अनुभव हो जाने पर क्या शंका हो सकती है।

अकारण शत्रुता करने वाले उन भयंकर दुष्टों से कौन नहीं भयभीत होगा जिनके मुख अत्यंत विषैले सर्पों के विष-भरे मुखों के समान सदा ही दुर्वचनों से भरे रहते हैं।

बड़े लोगों के मन में जिन वस्तुओं की अभिलाषा उत्पन्न होती है, भाग्य उन्हें उपस्थित करने में देर नहीं लगाता मानो वह भी पहले से उनकी सेवा करता रहता है।

सारे द्वीपों में जिसके गुणों की प्रशंसा होती है, रत्नसमूह का जो उपार्जन कर लेता है, ऐसा पुरुष को विधि असमय उसी प्रकार पटक देता है जैसे वायु जहाज को।

करुणाहीन लोगों के लिए क्या करना कठिन है?

लोगों का कहना है कि दूसरों की प्राण-रक्षा से बढ़कर संसार में कोई पुण्य नहीं है।

देवों के मन सदा अपने भक्तों के अनुरोध के वश में होते हैं।

थोड़ा समय भी एक साथ रहना परिचय उत्पन्न कर देता है।

निकट भविष्य में आने वाले आनंद को सूचना पहले से ही प्रकट होने वाले शुभ निमित्त देने लगते हैं।

कड़वी बात बोलने वाले तथा मिथ्या कलंक ढूँढ़ने वाले दुष्ट जन कटुध्वनि करने वाली तथा अंगों को मलिन करने वाली बाँधने की बेड़ियों की भाँति दुःख देते हैं। सज्जन लोग अच्छी वाणी से पद-पद पर मन को वैसे ही प्रसन्न कर देते हैं, जैसे पग-पग पर मधुर ध्वनि करने वाले नूपुर।

भाग्य विचित्र होता हैं।

जैसे चंचल बिजली क्षण भर अपनी चमक दिखाकर वज्रपात करने लग जाती है, उसी प्रकार नियति भी पहले लोगों पर सुख की चमक दिखाती है और फिर वज्र के समान भीषण दुःख गिराने लग जाती है।

सहज लज्जाशील नारियों का पहले-पहल बोलना बड़ी धृष्टता होती है, विशेषकर उनका जो वन्य मृगी की भाँति मुग्धा कुल-कुमारियाँ हैं।

भास को अपने नाटकों से, जो देवकुलों (मंदिरों) के समान ही सूत्रधार-कृत-आरंभ हैं, विशाल भूमिका वाले हैं तथा पताका युक्त हैं, यश प्राप्त हुआ।

सीधे-सादे लोगों की बुद्धि अ-तत्त्वदर्शिनी होती है।

ऐसा विदग्ध जन दुर्लभ है जो सबकी अनुकूलता के वशीभूत हो, बिना कारण के मित्र तथा अकृत्रिम हृदय वाला हो।

प्रायः महान प्राणियों का भी तेज अखंड अपराजय होता है।

उद्योगी व्यक्ति द्वारा भी भाग्य को नहीं बदला जा सकता।

कामला आदि आँखों के विकार के समान अंधता आदि श्री के दोष हैं।

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जो दुःख से दग्ध हैं उनके लिए ऐश्वर्य अमंगल, अप्रशस्त और निरुपयोगी होता है।

जल और अग्नि के समान धर्म और क्रोध का एक स्थान पर रहना स्वभाव-विरुद्ध है।

प्रभावशाली विनय से अर्पित किया हुआ मन मद्य के समान अधृष्ट जन को भी वाचाल कर देता है।

प्रणय-प्रदान से बढ़ी हुई प्रीति दुर्लभ मनोरथ की भी अभिलाषा करने लगती है।

प्रथम दर्शन में ही सज्जन व्यक्ति उपहार के रूप में प्रणय को समर्पित करता है।

कुलीन लोग स्नेह से व्याकुल होकर भी देशकाल के अनुरूप आचार का अभिनंदन करते हैं।

संसार में स्नेह के बंधनपाश लोहे से भी बढ़कर कठोर होते हैं।

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