नेता पर कविताएँ

भारतीय राजनीति और लोकतंत्र

की दशा-दिशा से संवाद को हिंदी कविता ने किसी कर्तव्य की तरह अपने ऊपर हावी रखा है और इस क्रम में इसके प्रतिनिधि के रूप में नेता या राजनेता से प्रश्नरत बनी रही है। प्रस्तुत चयन में ऐसी ही कविताओं का है।

कौन जात हो भाई

बच्चा लाल 'उन्मेष'

कोई एक और मतदाता

रघुवीर सहाय

उत्सव

अरुण कमल

परंतु

कुमार अम्बुज

कार्यकर्ता से

लीलाधर जगूड़ी

युवा विधायक

चंद्रकांत देवताले

तीसरा रास्ता

श्रीकांत वर्मा

मीडिया : एक

आश करण अटल

चुनाव की चोट

काका हाथरसी

सुनो बादशाह!

सौम्य मालवीय

राजा अइलिन

राकेश रंजन

भ्रष्टाचार पेट पर

ओम् प्रकाश आदित्य

जनता के लुटेरे

बलराम शुक्ल

जंगल

अनुभव

बापू की याद

अनिल त्रिपाठी

आज़ादी के बाद

सारुल बागला

द्वार बँधाए हाथी, अगुआ

कृष्ण मुरारी पहारिया

नींद क्यूँ नहीं आती

राजेंद्र देथा

झारखंड

अनीता वर्मा

देश गर्त में है

आभा बोधिसत्व

देशोद्धारकों से

प्रभाकर माचवे

सिंहासन

राकेश कबीर

जनसभा

अजेय

बहरूपिया आ रहा है

ज्योति चावला

व्यवस्था

आभा बोधिसत्व

अँगूठा छाप नेता

काका हाथरसी

जननायक हूँ मैं!

एन.पी. सिंह

अभिनेता

अंकुश कुमार

नेता

सुशीलनाथ कुमार

सूखा तालाब

राधावल्लभ त्रिपाठी

अंततः

श्रीनरेश मेहता

वे

कुमार अनुपम

फ़ाशिस्ट

फ़िरोज़ ख़ान

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