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मौसम पर कविताएँ

किसी स्थान विशेष की

दिन-प्रतिदिन की वायुमंडलीय दशा को मौसम कहा जाता है। मौसम का कवि-मन पर प्रभाव पड़ना और प्रभावतः अभिव्यक्तियों का जन्म अत्यंत नैसर्गिक स्थिति है। इस चयन में ऐसी ही कुछ कविताओं का संकलन किया गया है।

फागुन का गीत

अजित पुष्कल

जेएनयू में वसंत

आमिर हमज़ा

पतझर

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

नवसंदेश-रासक

अविनाश मिश्र

भादों की संध्या का जब

कृष्ण मुरारी पहारिया

फागुनी हवाएँ

अखिलेश सिंह

पावस

शैलेंद्र कुमार शुक्ल

भरोसा

सारुल बागला

दिल दुखने की बातें

हरजीत अर्नेस्ट

अभिमान

बेबी शॉ

एक धुँधला दिन

सौरभ अनंत

इस मौसम में

सारुल बागला

ध्रुपद का टुकड़ा

दिनेश कुमार शुक्ल

अट नहीं रही है

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

गद्य

सौरभ अनंत

कृतघ्न

गोविंद द्विवेदी

आषाढ़ का पहला दिन

भवानीप्रसाद मिश्र

पतझड़

सौरभ मिश्र

जैसे

मानसी मिश्र

स्मृति

नंद चतुर्वेदी

अक्टूबर

सत्यम तिवारी

ऋतुएँ

श्री अरविंद

इंतिज़ार

बेबी शॉ

दोहराव

सौरभ अनंत

मुझसे बात करो

सोनी पांडेय

चैत की चौपही

दिनेश कुमार शुक्ल

उदास हो चला गया वसंत

रविशंकर उपाध्याय

रात और अंगूरी मौसम

कार्लो क्लाद्ज़े

मुंबई की ठंडी

कुमार वीरेंद्र

घोंघे

रमाशंकर सिंह

प्रतीक्षा

दिलीप शाक्य

क्वार में बारिश

श्रुति गौतम

अप्रैल

सौरभ अनंत

पलाश के फूल

अमेय कांत

ज़रा-ज़रा-सा

सुनीता जैन

किसी रोज़

गौरव भारती

तब तक

राकेश रंजन

चैत की हवा

श्यामसुंदर भारती

या

प्रदीप सैनी

आना मार्च

सौम्य मालवीय

रजाई

रामाज्ञा शशिधर

मेघ

प्रदीप्त प्रीत