गाँव के गँवईपन में भी एक तरह की शोभन सभ्यता है यह शहरी गँवई बहुत कुत्सित है।
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कभी-कभी देहांत के बिना ही इंसान एक ही शरीर में कई-कई मौतें नहीं मरता? या एक ही जन्म में कई-कई बार जन्म नहीं लेता?
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यद्यपि लड़की फूटी कौड़ी के मोल की होती है, फिर भी उसे देखने को जी चाहता है, लेने-छूने को जी चाहता है और स्नेह की वस्तु है इसलिए एक मीठी अनुभूति आती है।
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पुस्तकें 4
अन्त: तरंग
मन का चेहरा
प्रथम प्रतिश्रुति
शेष दृश्य
Recitation
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