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भविष्य पर कविताएँ

भविष्य आशंकाओं-आकांक्षाओं

के वर्तमान के रूप में हमारे जीवन-दृश्यों में उतरता रहता है। इस चयन में ऐसी ही कुछ कविताओं का संकलन किया गया है।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

एक दिन

अखिलेश सिंह

बीते हुए दिन

राजेंद्र धोड़पकर

नीयत और नियति

अजंता देव

औरतें

शुभा

निकटता की दूरी

अनुराग अनंत

बार-बार

ममता बारहठ

जेएनयू में वसंत

आमिर हमज़ा

सन् 3031

त्रिभुवन

आकाँक्षा

नंदकिशोर आचार्य

हम बचेंगे अगर

नवीन सागर

आख़िरी प्याला

निकानोर पार्रा

कभी-कभी मैं

अन्ना अख्मातोवा

अपने बेटों के बेटे

इलिया एहरेनबुर्ग

उनींदी रात में

अलेक्सांद्र पूश्किन

अमरता

सामुईल मर्शाक

बच्चों, डरने की ज़रूरत नहीं

निकोला वाप्त्सारोव

भोर एक छेनी

मार्टिन कार्टर

बच्चो, डरो नहीं

निकोला वाप्त्सारोव

हमारी गिनती

मार्टिन कार्टर

जलते पक्षी का गीत

माक्ती रोस्सी

स्त्री : नए घर में

ह्यूगो विलियम्स

कहते हैं

बेन ओकरी

आविष्कारक

रेने शार

रात सड़क लैंप...

अलेक्सांद्र ब्लोक

ज्ञान का उल्लास

नाज़िम हिकमत

भविष्य के लिए

इवान वाज़ोव

कर्मचारियों का युग

वोत्येज्स्लव नेज्वल

चाकरी में स्वप्न पाले कौन

कृष्ण मुरारी पहारिया

अपने ही बेटे को देखकर

कालीप्रसाद रिजाल

वरिष्ठ

अजंता देव

बीसवीं सदी

इवान वाज़ोव

घर

आमिर हमज़ा

बीमा एजेंट

सौरभ राय

अधूरा मकान

हरीशचंद्र पांडे

कौन जाने?

बालकृष्ण राव

भविष्य घट रहा है

कैलाश वाजपेयी

एक दिन

नीलोत्पल

क्या कर जाएँगी मशीन

सुनील कुमार शर्मा

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