दोस्ती क़ब्रिस्तान है और दोस्त क़ब्र
प्रदीप्त प्रीत
08 अक्तूबर 2025

दोस्त सिर्फ़ दोस्त होते हैं। बहुत सारा साथ, सामर्थ्य, साहस और प्रेम उसी में समाहित होता है। किसी भी इंसान के बारे में दूसरे लोग सिर्फ़ अंदाज़ा लगा सकते हैं, सच सिर्फ़ दोस्तों को पता होता है, उनसे छिपा पाना नामुमकिन है। वे सब कुछ जानते हैं, तुम्हारी कारिस्तानियाँ भी और तुम्हारी लाइफ़स्टाइल का लब्बोलुआब भी। क्या ये अचंभित करने वाली बात नहीं है कि वे इसे अपने अंदर दफ़्न रखते हैं—जैसे दोस्ती क़ब्रिस्तान है और दोस्त क़ब्र। वहाँ आप सिर्फ़ फूल रखकर अपनी बात कह सकते हैं और हल्के हो जाते हैं।
इस दुनिया में जिसका कोई भी नहीं, दुनिया जिसे ईश्वर कहती है—वह भी नहीं, जब कोई नास्तिक होता है तो क्या उसके पास सिर्फ़ दोस्ती एकमात्र विकल्प नहीं होती है—जिसमें वह आस्था रखता है? वह ख़ुद से भागता होगा तो कहाँ जाता होगा? क्या वह कभी सोच पाता होगा कि दोस्ती मुझे ठुकरा देगी? वह यही तो सोच सकता है कि वे उसे माफ़ कर देंगे या फिर ये कि वे जानते हैं कि वह ग़लत नहीं है।
कॉलेज के दिनों में हम लौंडों में यह बकैती ख़ूब चलती थी। “सुनो बे! एक बात जान लेव अगर कोई तुम्हारे सफलता के शिखर पर भी तुम्हारा दुश्मन बना बैठा है तो वही तुम्हारा असली दुश्मन है और अगर कोई गर्त में भी तुम्हारा दोस्त बने रहने की ज़ुर्रत करता है, तुम्हारे साथ खड़ा है तो वही तुम्हारा असली दोस्त है। इसीलिए ज़्यादा इमोशनल मत हुए जाओ! जो किसी की बातों में आकर तुम्हें छोड़ दे वो स्साला कभी तुम्हारा दोस्त था ही नहीं बे।” इस बकैती को चलना ही था न क्योंकि कॉलेज ही वह उम्र होती है, जब तुम्हें दोस्तों की ज़रूरत सबसे ज़्यादा होती है और दोस्ती पर ख़तरा भी इसी उम्र में सबसे अधिक होता है। मतलब पापा-प्रेमिका-प्रोफ़ेसर सब दोस्ती के दुश्मन होते हैं। कोई-न-कोई दोस्त ऐसा होता ही है जिससे सबको ख़तरा होता है। वे सब तुम्हें उससे दूर रहने की राय देते हैं और वह राय धीरे-धीरे निर्णय में बदल जाती है। कई बार तो ऐसा होता ही है कि इन रिश्तों, और ओहदेदारों के बरक्स आपको दोस्ती दोस्ती चुननी होती है। हम छुपते-छुपाते दोस्ती चुनते हैं। जब ये सारे रिश्ते बस तुम्हें पम्प कर रहे होते हैं, तब भी जीवन का असली मज़ा तुम्हें दोस्तों के साथ मिलता है। वे सेमल की रुई की तरह सफेद बादल बनकर तुम्हारे सामने से गुज़रते हैं, तुम सबकुछ छोड़कर उनके साथ भाग लेते हो। बारिश के लिए, कुत्तों के पिल्लों के लिए और हर उस चीज़ के लिए जिसमें तुम सब कुछ भूलकर ख़ुद को पा जाते हो।
सोचो! तुम एक यूनिवर्सिटी में पढ़ते हो, एक वही है जो तुम्हारी औकात है, तुम्हारी पहचान है, तुम उसी के नाम से जाने जाते हो। ऐसे में एक ‘पावरफ़ुल’ प्रोफ़ेसर तुम्हारे किसी दोस्त से कहे कि वह तुमसे दूर रहे क्योंकि उसकी नज़र में तुम अच्छे नहीं हो। सोचो! ऐसे में कौन है जो तुम्हारे साथ खड़ा रहेगा? वह कोई और नहीं है वह तुम्हारा दोस्त ही है। उसकी कोई अकादमिक, जातिगत या लैंगिक पहचान नहीं होती है, वह सिर्फ़ दोस्त होता है। घृणा, जलन या आकर्षण उसमें कभी महसूस नहीं होता है। वह वहीं खड़ा होता है, जहाँ वो पहले दिन से खड़ा है क्योंकि वही उसकी पहचान है। जैसे ही आप उसमें फेरबदल करेंगे वह धुएँ की तरह ग़ायब हो जाएगा।
इसके उल्टे दोस्ती कहती है, दुनिया सिर्फ़ तुम्हारी है और तुम दुनिया के। यह तुम्हारी ज़िम्मेदारी है कि तुम इसे कैसे जीते हो। तुम बर्बर होना चाहते हो कि एक फूल के नाम से तुम जाने जाओगे। वह कहती है तुम जो पैदा हुए थे, वही होकर तुम नहीं मरते हो। तुम हर क्षण अलग होते हो और ऐसे ही तुम्हें औरों को देखना चाहिए इसलिए वो सिखाती है—माफ़ करना चाहिए और इसमें विश्वास बनाए रखना है कि लोग अहसास होने पर बदलते हैं, किसी को बुरा बनना अच्छा नहीं लगता है। हर कोई चाहता है कि लोग उससे डरे नहीं, भागे नहीं, बल्कि उससे प्यार करे। कौन है जो प्यार नहीं चाहता है? उसे एक बार महसूस तो कराओ कि वह तुम्हारे लिए क्या है? वह कैसे तुम्हें हर्ट करता है? दोस्ती जहाँ से शुरू होती है ज़िंदगी भी वहीं से शुरू होती है। सीखना, उठना, दौड़ना और छलांग लगाना वहीं से शुरू होता है, उसके पहले आप एक सर्कल में गोल-गोल घूमते रहते हो, एक मशीन की तरह स्किलफ़ुल। जीवन में रिफ़्लेक्ट करने का हुनर सिर्फ़ दोस्ती देती है।
‘फ़्रेंडजोन’ में बसाया गया इंसान कभी दोस्त नहीं होता है। वह अपनी दमित इच्छाओं के साथ तुम्हारे आस-पास रखकर उन्हीं दमित इच्छाओं को सहला रहा होता है, जिसे लेकर वह कभी तुम्हारे पास आया था। ‘फ़्रेंडजोन’ एक यूटोपिया है, उसे इस दुनिया में कहीं भी बसाया नहीं जा सकता है। इसीलिए मैं गुहार लगाता हूँ—उन सभी इंसानों से जो फ़्रेंडजोन में हैं, अगर ख़ुद को बदल नहीं सकते तो उस दुनिया को छोड़ दो, जहाँ तुम दोगले बनकर रह रहे हो। तुम्हारी वजह से वहाँ बहुत क्लेश मचता है। बहुत कुछ टूट-फूट जाता है। एक दोस्ती ही है जो इस दुनिया को सुंदर दुनिया बना सकती है। अच्छी दोस्ती, अच्छी किताब की तरह होती है और बुरी दोस्ती, बुरी किताबों से कहीं अधिक घातक—परमाणु बम की तरह होती है। वह रिश्तों और भावनाओं में एक चेन रिएक्शन पैदा करती है, जिसके परिणाम से नुक़सान का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है। क्या तुम कभी सोचते हो कि जीवन में, समाज में असफल अपने दोस्त की इस स्थिति की वजह तुम तो नहीं हो?
दुनिया भर के दोस्तो—तय करो कि क्या बनना पसंद करोगे, एक फूल या परमाणु बम।
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