स्पर्श पर कविताएँ

त्वचा हमारी पाँच ज्ञानेंद्रियों

में से एक है, जो स्पर्श के माध्यम से हमें वस्तुओं का ज्ञान देती है। मानवीय भावनाओं के इजहार में स्पर्श की विशिष्ट भूमिका होती है। प्रस्तुत चयन में स्पर्श के भाव-प्रसंग से बुनी कविताओं को शामिल किया गया है।

हाथ

केदारनाथ सिंह

प्रेम के आस-पास

अमर दलपुरा

छूना मत

सविता भार्गव

स्पर्श

मदन कश्यप

कभी-कभी ऐसा भी होता है

पंकज चतुर्वेदी

ख़तरा

कुमार अम्बुज

कीलें

शुभम नेगी

शिल्पी

बेबी शॉ

छुओ

मंगलेश डबराल

बताना

पायल भारद्वाज

विस्मृति

मनमोहन

मत छूना, छूना मन

दिनेश कुशवाह

स्मृति में स्पर्श

सविता भार्गव

ये जो दो हाथ हैं

देवी प्रसाद मिश्र

ढूँढ़ना

वसु गंधर्व

स्वायत्त

कुसुमाग्रज

छाया मत छूना

गिरिजाकुमार माथुर

छूना

रमाशंकर सिंह

राग

बेबी शॉ

मृत्यु

देवयानी भारद्वाज

कोरोना काल में

विनोद विट्ठल

खो चुकी क्षमताएँ

मुदित श्रीवास्तव

छुअन

मुदित श्रीवास्तव

माँ के हाथ

शंकरानंद

कुछ शब्द

नाज़िश अंसारी

छूना

संजय शेफर्ड

प्रेम का स्पर्श

रवीन्द्रनाथ टैगोर

कभी सोचा नहीं था

पंकज चतुर्वेदी

अनुपस्थित स्पर्श

अतुल तिवारी

अपने घर पर रहें

पंकज चतुर्वेदी

कोरोना टच

अरमान आनंद

सामर्थ्य

संजय शेफर्ड

रात में

ममता बारहठ

कथन

केशव

मेरी नींद

अनुराग अनंत

चुंबन-सा अनगढ़

पल्लवी विनोद

मुद्रा

मोनालिसा जेना

छूकर देखना

अनिल कार्की

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए