बेटी पर कविताएँ

हिंदी कविता में बेटियों

का आगमन उनकी आशाओं-आकांक्षाओं और नम्र आक्रोश के साथ हुआ है, तो पिता बनकर उतरे कवियों ने उनसे संवाद की कोशिश भी की है। प्रस्तुत चयन में इस दुतरफ़ा संवाद को अवसर देती कविताओं का संकलन किया गया है।

सरोज-स्मृति

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

लड़कियों के बाप

विष्णु खरे

पिकासो की पुत्रियाँ

केदारनाथ अग्रवाल

बेटी का स्कूल

निखिल आनंद गिरि

वह तुम ही हो पिता

रश्मि भारद्वाज

विदा

अखिलेश श्रीवास्तव

बेटियाँ

गोविंद माथुर

खो जाना

रवीन्द्रनाथ टैगोर

पाठा की बिटिया

केशव तिवारी

आत्मज्ञान

मंगेश पाडगाँवकर

दुआ

रहमान राही

कवि की बेटियाँ

रमाशंकर सिंह

मेरी बेटी

प्रतिभा शतपथी

यह बेटी किसकी है

संदीप निर्भय

नैहर आए

कमलेश

बेटी का कमरा

अर्चना लार्क

पिता

शशिभूषण

डूब मरो

कृष्ण कल्पित

बिटिया

भगवत रावत

एक माँ की प्रार्थना

लीना मल्होत्रा राव

वह तोड़ना जानती है

लक्ष्मण गुप्त

पिता

अर्पिता राठौर

अनंत की कड़ियाँ

स्वाति मेलकानी

ओ पिता

सौम्य मालवीय

बाप की टोपी

शांति यादव

यशोदा की बेटी

आभा बोधिसत्व

छूना

संजय शेफर्ड

बेटी की माँ होना

स्वाति मेलकानी

बेटी

आदित्य रहबर

ज़रूरतमंद की बेटी

विपिन बिहारी

बेटियाँ

नताशा

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