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कवि पर कवि

एक कवि की दूसरे कवि

पर लिखी गई कविता।

शेक्सपियर के 'टेंपेस्ट' नाटक के साथ कालिदास की 'शकुंतला' की तुलना मन में सहज ही उठ सकती है। इनका बाह्य सादृश्य और आंतरिक विभिन्नता, ध्यानपूर्वक विचार करने की चीज़ है।

रवींद्रनाथ टैगोर

अज्ञेय से पहले हिंदी का कोई ऐसा कवि नहीं हुआ जो शुद्ध रूप से नागरिक कवि हो।

केदारनाथ सिंह

विद्यापति की कविता में प्रेम की भंगी, प्रेम का नृत्य, प्रेम का चांचल्य है; चंडीदास की कविता में प्रेम की तीव्रता, प्रेम का आलोक।

रवींद्रनाथ टैगोर

विद्यापति में केवल वसंत है।

रवींद्रनाथ टैगोर

सरलता का आकाश जैसे त्रिलोचन की रचनाएँ।

शमशेर बहादुर सिंह

मैं महत्त्व देता हूँ—‘प्रिय’ होने को। और ज़रूरी नहीं है कि जो कवि मुझे प्रिय हो, वही कवि आपको भी प्रिय हो।

राजकमल चौधरी

हिंदी में कबीर अकेले ऐसे कवि हैं, जो अपने ही कथ्य के कारण महत्त्वपूर्ण हैं।

त्रिलोचन