चेहरा पर उद्धरण

चेहरा किसी व्यक्ति की

पहचान से संलग्न है और इस आशय में उसके पूरे अस्तित्व से जुड़ा प्रसंग है। भाषा ने चेहरे पर उठते-गिरते भावों के लिए मुहावरे गढ़े हैं। उसे आईना भी कहा गया है। इस चयन में चेहरे को प्रसंग बनातीं कविताएँ संकलित हैं।

स्पष्टवादिता मनुष्य का एक उच्च गुण है।

प्रेमचंद

अगर चेहरे गढ़ने हों तो अत्याचारी के चेहरे खोजो अत्याचार के नहीं।

रघुवीर सहाय

चेहरा दिखाने की ख़्वाहिश? चेहरे देखने की ख़्वाहिश? ग़लत ख़्वाहिश।

कृष्ण बलदेव वैद

चेहरा कितनी विकट चीज़ है जैसे-जैसे उम्र गुज़रती है वह या तो एक दोस्त होता जाता है या तो दुश्मन।

रघुवीर सहाय

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