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शाम पर उद्धरण

दिन और रात के बीच के

समय के रूप में शाम मानवीय गतिविधियों का एक विशिष्ट वितान है और इस रूप में शाम मन पर विशेष असर भी रखती है। शाम की अभिव्यक्ति कविताओं में होती रही है। यहाँ प्रस्तुत चयन में शाम, साँझ या संध्या को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।

हर शाम अपने मन को साफ़ करता हूँ, ताकि अगली सुबह साफ़ मन से लिख सकूँ।

कृष्ण बलदेव वैद

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