लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई के उद्धरण

बुराई का अस्तित्व है और दु:ख की बात यह है कि अच्छाई कभी उससे आगे नहीं बढ़ पाती।
अनुवाद : हरि कार्की
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जब मैं काफ़्का को नहीं पढ़ रहा होता हूँ, तब मैं काफ़्का के बारे में सोच रहा होता हूँ। जब मैं काफ़्का को नहीं सोच रहा होता हूँ, तब मैं काफ़्का के बारे में सोचने की स्मृति में होता हूँ। और कुछ देर तक उनके बारे में सोचना भूलने पर, मैं उन्हें फिर से निकालकर पढ़ने लगता हूँ—यह सिलसिला इसी तरह चलता रहता है।
अनुवाद : हरि कार्की
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संबंधित विषय : पढ़ना
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उसने महसूस किया : मृत्यु—मायूसी और स्थायी अंत नहीं, बल्कि एक प्रकार की चेतावनी है।
अनुवाद : हरि कार्की
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ऐसा नहीं है कि मैं यह नहीं समझता कि एक व्यक्ति को मरना क्यों पड़ता है, बल्कि मैं यह नहीं समझ पाता कि एक व्यक्ति को जीना क्यों पड़ता है!
अनुवाद : हरि कार्की
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बाहर एक युद्ध चल रहा है और इस निराशा भरी रात में जागना तभी संभव है, जब तुम पूरी तरह निर्दय होने के लिए तैयार हो।
अनुवाद : हरि कार्की
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संबंधित विषय : जीवन
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यह बात अपने दिमाग़ में घुसा लो—चुटकुले ज़िंदगी की तरह होते हैं।
अनुवाद : हरि कार्की
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संबंधित विषय : जीवन
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जो चीज़ें बुरी तरह शुरू होती हैं, वे बुरी तरह ही ख़त्म होंगी। मध्य में सब ठीक रहता है, तुम्हें बस अंत की चिंता करनी चाहिए।
अनुवाद : हरि कार्की
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संबंधित विषय : जीवन
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जब मैं अपने अनुवादकों के साथ काम करता हूँ, तो ये देख पाता हूँ कि भाषा के तौर पर हंगेरियन भाषा में कितनी संभावनाएँ मौजूद हैं। अगर फ्रेंच या स्पेनिश में दो संभावनाएँ मौजूद हैं तो हंगेरियन में दस।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : अनुवाद
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मुझे लगता है कि शेक्सपियर सबके लिए था—सामंतों, वेश्याओं और भी कई लोगों के लिए
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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हर चीज़ के पीछे के कारण को तलाशना हमेशा ज़रूरी नहीं होता, क्योंकि हर वजह बेबुनियाद होती है। कारण, एक निश्चित नज़रिये से ही कारण दिखाई देता है।
अनुवाद : हरि कार्की
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संबंधित विषय : निमित्त
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हमारे यहाँ पर कई दार्शनिक, लेखक और कवि हुए हैं जिनके बहुत अलग विचार रहे है, लेकिन हमारी अब तक की संस्कृति का इतिहास, ग़लतफ़हमी का इतिहास है। इसके हजारों उदाहरण है। शायद ये पूरे विश्व भर में लागू होता है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि सच यथार्थ के पीछे छिपी कोई चीज नहीं है, जैसे कि बहते हुए पानी में एक खास रोचकता और सुंदरता होती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ये प्रवाह ही सच्चाई है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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डॉट या पूर्ण विराम मुझे जरूरी लगता है लेकिन मैं उस स्थिति या समय का इंतजार करता हूँ, जब ये एकदम से ज़रुरी हो।
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हम भ्रामक इतिहास के स्तर पर संपन्न हुए हैं।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : इतिहास
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पिछले पाँच सालों में ये साफ हुआ है कि प्रकृति के विभिन्न तत्वों के बीच में कई संबंध हैं। इन सभी चीजों को पढ़ने और सुनने के बाद मैंने बुद्ध के बारे में सोचना शुरू किया। लगा कि मुझे ये भी जानने की कोशिश करनी होगी कि उन्होंने अपनी मागधी भाषा में क्या कहा है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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पश्चिम यूरोप में जो पाठक हैं वो ज्यादा रूढ़िवादी हैं, जो पुरानी परंपराओं से आते हैं या उनसे जुड़े हुए हैं।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : पाठक
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अगर आप मुझे कुछ अर्थपूर्ण बता रहे हैं; तो इस तरह की स्थिति में आप पूर्ण विराम का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि आपको ज़रूरत भी नहीं पड़ती—पूर्ण विराम या अर्द्ध विराम सिर्फ़ औपचारिकताएँ हैं।
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मनुष्यों को होने वाले अनुभव कभी नहीं बदलते। जवानी, बुढ़ापा और फिर एक दिन मृत्यु—ये सबकुछ सदियों के बाद भी नहीं बदला है। ये सारी चीजें ज्यों की त्यों हैं।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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हम इस दुनिया के बारे में निर्णय तब लेते हैं जब हम जवान होते हैं, लेकिन जिस उम्र में मैं हूँ उसमें एक ही काम हो सकता है कि मैं इस दुनिया को पूरी सहानुभूति के साथ देखूँ। सहानुभूति मेरी उम्र के हिसाब से सबसे उचित प्रतिक्रिया हो सकती है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : जीवन
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आपको पता होगा की अँग्रेजी कवि रॉबर्ट ब्राउनिंग ने एक बार कहा था, ''जवानी के दिनों में दो लोग मेरे काम को समझते थे, एक मैं और दूसरा ईश्वर। लेकिन अब मेरे काम को सिर्फ ईश्वर समझता है।''
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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कोई ऐसा लेखक नहीं जो अपने राइटिंग डेस्क पर ही सोचता या लिखता है। ये कभी नहीं होता। ये कुछ ऐसा है कि कोई मेरे भीतर लगातार बोलता रहता है और दुर्भाग्य से ये कोई अलंकार या मेटाफर नहीं है। मैं अपने दिमाग़ में उस आवाज़ से जुड़ने की कोशिश करता हूँ। अगर मैं अपने भीतर उस आवाज़ या संगीत को समझ पाता हूँ और पीछा करता हूँ, तो पंद्रह से बीस पृष्ठ तक लगातार लिखता जाता हूँ। मेरे वाक्यों के लंबे होने का एक कारण ये हो सकता है कि मैं हमेशा उस आवाज़ के अधिक से अधिक क़रीब जाता हूँ।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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काफ़्का के यहाँ पर हर वाक्य एक रहस्य है, इसलिए भी वहाँ पर वाक्य लंबे हैं। इस तरह के वाक्यों के लिए मैं रुकता हूँ और उन वाक्यों के बारे में लंबे समय तक सोचता हूँ।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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लंबे वाक्य या छोटे वाक्य सिर्फ़ नियम हैं।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : नियम
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हमें हर हाल में आगे बढ़ना होता है, भले ही कितनी भी ख़तरनाक बाधाएँ हों और भले ही दूर-दूर तक रोशनी ना दिखे।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : जीवन
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पीड़ा मेरे लिए सबसे बड़ा और ज़रुरी शब्द है। आधुनिक भौतिकीशास्त्र और बुद्ध के विचारों में मैं कई तरह के जुड़ाव देखता हूँ। शायद बुद्ध ने पीड़ा को सामान्य लोगों की तरह ना देखा हो लेकिन पीड़ा का उनके लिए कोई दूसरा अर्थ भी रहा हो।
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हमें लेखन की संस्कृति को बढ़ावा देना ही होगा, लेकिन उसमें भी ग़लत समझ की संभावना है। ये भी एक सच है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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हेराक्लिटस (Heraclitus) का ये कथन कि ‘हम किसी नदी में दुबारा कदम नहीं रखते’—इसकी कितनी भ्रामक व्याख्याएँ हुई हैं। ये वाक्य एक बड़े समूह का हिस्सा है, जो एक जटिल संदर्भ से जुड़ा हुआ है। पूरा यूरोप इस तरह की जटिलता से भरा हुआ है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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आप ये उम्मीद नहीं कर सकते कि कोई विद्यार्थी ठीक वैसा ही बोले या समझे, जो उसके शिक्षक ने कहा है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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भाषा सिर्फ भाषा नहीं है, भाषा अपने साथ सबकुछ समाहित करती है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : भाषा
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फॉकनर मुझे कुछ हद तक रूढ़िवादी लेखक लगता है। उसने छोटे वाक्यों का इस्तेमाल किया तो उसने उन वाक्यों का इस्तेमाल किया, जो उसे जरूरी लगा।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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हमें ये लगता है कि हमें इस दुनिया को कुछ दिखाना चाहिए, लेकिन असल में हमारा काम कुछ और है। ये कुछ ऐसा है की हम किसी नदी के किनारे चुपचाप बैठ जाएँ और उसकी आवाज़ को सुनें। नदी के सतह को देखें और ये भी देखें की किस तरह से प्रकाश सतह पर फैलता है। कोई बड़ा राजनीतिक निर्णय या इस दुनिया से जुड़े छोटे या बड़े निर्णय लेने से ज़्यादा ज़रूरी है ये काम।
हमें ये लगता है कि हमें इस दुनिया को कुछ दिखाना चाहिए, लेकिन असल में हमारा काम कुछ और है। ये कुछ ऐसा है की हम किसी नदी के किनारे चुपचाप बैठ जाएँ और उसकी आवाज़ को सुनें। नदी के सतह को देखें और ये भी देखें की किस तरह से प्रकाश सतह पर फैलता है। कोई बड़ा राजनीतिक निर्णय या इस दुनिया से जुड़े छोटे या बड़े निर्णय लेने से ज़्यादा ज़रूरी है ये काम।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : जीवन
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