लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई के उद्धरण
बड़े शहरों की जो बात मुझे सबसे ज़्यादा बुरी लगती है, वह यह कि वहाँ का कलाकार अपनी कला को बेचना चाहता है। उसके भीतर अपनी कला की रचना करने से ज़्यादा, बेचने का भाव भरा होता
अनुवाद : गीत चतुर्वेदी
बुराई का अस्तित्व है और दु:ख की बात यह है कि अच्छाई कभी उससे आगे नहीं बढ़ पाती।
अनुवाद : हरि कार्की
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अब हम पुराने तरीके से लिखने की अपनी योग्यता को खो चुके हैं। अब हमें नयापन पसंद है। हम मानव जीवन को अभिव्यक्त करने के लिए नई विधाएँ और नई संभावनाओं को खोज रहे हैं।
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मनुष्यों को होने वाले अनुभव कभी नहीं बदलते। जवानी, बुढ़ापा और फिर एक दिन मृत्यु—ये सबकुछ सदियों के बाद भी नहीं बदला है। ये सारी चीजें ज्यों की त्यों हैं।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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मुझे वो उपन्यास पसंद नहीं, जिसका लेखक के वजूद से सीधा संबंध नहीं होता। मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता, लेकिन ये कवियों के साथ कुछ अलग होता है।
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संबंधित विषय : यथार्थ
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मुझे लगता है कि ज़िन्दगी का आख़िरी पड़ाव मृत्यु नहीं, बल्कि मृत्यु का डर है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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फ़िल्मों में आपके पास इतनी गुंजाइश नहीं होती। आप कहानी से दूर नहीं जा सकते, आपको जो कहना है, कहानी के भीतर कहना है। किताब में आप कहानी के दो हिस्सों के बीच आसानी से अपनी बात कह सकते हैं, चिंतन कर सकते हैं।
अनुवाद : गीत चतुर्वेदी
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संबंधित विषय : सिनेमा
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लंबे वाक्यों के पीछे एक कहानी है। जब मैंने लिखने की शुरुआत की, तो मुझे एकांत नहीं मिल पाता था। मैं हमेशा परिवार व भीड़ के बीच रहता था, अपने मन में लिखता रहता था। मैं आरंभ में एक वाक्य बनाता, फिर उस वाक्य में जोड़ता जाता—वह सबकुछ मैं याद रखता था। जब भी मौक़ा मिलता, मैं उन्हें लिखने बैठ जाता। इस तरह मेरी स्मृति से एक लंबा वाक्य निकल कर आ जाता। इस तरह मेरे वाक्यों की लंबाई बढ़ती गई।
अनुवाद : गीत चतुर्वेदी
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कुछ पाने के लिए आपको किसी खजाने को खोजने की जरूरत नहीं है। बस आपको लगातार खोजना है, सोचना है और ये छोटा काम नहीं है।
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ऐसा नहीं है कि मैं यह नहीं समझता कि एक व्यक्ति को मरना क्यों पड़ता है, बल्कि मैं यह नहीं समझ पाता कि एक व्यक्ति को जीना क्यों पड़ता है!
अनुवाद : हरि कार्की
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मैं कई बड़े सवालों को लेकर अब भी स्पष्ट नहीं हूँ, लेकिन ये मेरा काम नहीं है। मैं उपन्यासकार हूँ, दार्शनिक नहीं।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : दार्शनिक
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लोग मेरी भाषा व वाक्यों पर अचरज जताते हैं, कई बार मेरा एक वाक्य बीस पेज लंबा होता है। मैंने अपनी हंगारी भाषा को इस तरह इस्तेमाल किया है कि उसे लोग ‘क्रास्ज़्नाहोरकाई हंगारी’ कहने लगे हैं। जब कोई इसे अँग्रेज़ी में अनुवाद करता है, तो उसे इसके लिए एक ख़ास किस्म की ‘क्रास्ज़्नाहोरकाई अँग्रेज़ी’ खोजनी पड़ती है।
अनुवाद : गीत चतुर्वेदी
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संबंधित विषय : अनुवाद
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मेरा काम इतना है कि उन लोगों को समझने की कोशिश करना जो किसी चीज़ में विश्वास करते हैं। अपने आप में ये एक बड़ा काम है। उन लोगों को देखते हुए मैं ये गहराई तक महसूस करता हूँ कि मैं भी किसी चीज़ में विश्वास कर सकता हूँ, बल्कि उन लोगों के साथ एक जुड़ाव महसूस करता हूँ।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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उसने महसूस किया : मृत्यु—मायूसी और स्थायी अंत नहीं, बल्कि एक प्रकार की चेतावनी है।
अनुवाद : हरि कार्की
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गद्य-लेखन अपने आप में ख़ुद से बाहर आने की एक संभावना है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : वैश्विक साहित्य (गद्य)
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काफ़्का के यहाँ पर हर वाक्य एक रहस्य है, इसलिए भी वहाँ पर वाक्य लंबे हैं। इस तरह के वाक्यों के लिए मैं रुकता हूँ और उन वाक्यों के बारे में लंबे समय तक सोचता हूँ।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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मैं जानता हूँ कि इस दुनिया में अब भी कुछ पवित्र और पाक लोग हैं। इन लोगों में मेरा विश्वास भी है, लेकिन इन लोगों के विश्वास में मेरा विश्वास नहीं है। मैं सिर्फ लोगों में विश्वास कर सकता हूँ—ये मेरी स्थिति है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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गद्य-लेखक के तौर पर ये मेरी जिम्मेदारी है कि मैं इस दुनिया का एक संपूर्ण चित्र प्रस्तुत कर सकूँ।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : संसार
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लंबे वाक्य या छोटे वाक्य सिर्फ़ नियम हैं।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : नियम
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मैं लेखक हूँ, इसलिए पूरे ब्रह्मांड के साथ मेरा संबंध है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : संसार
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जब मैं काफ़्का को नहीं पढ़ रहा होता हूँ, तब मैं काफ़्का के बारे में सोच रहा होता हूँ। जब मैं काफ़्का को नहीं सोच रहा होता हूँ, तब मैं काफ़्का के बारे में सोचने की स्मृति में होता हूँ। और कुछ देर तक उनके बारे में सोचना भूलने पर, मैं उन्हें फिर से निकालकर पढ़ने लगता हूँ—यह सिलसिला इसी तरह चलता रहता है।
अनुवाद : हरि कार्की
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संबंधित विषय : पढ़ना
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सवालों और जवाबों के बजाए मेरी दिलचस्पी इसमें ज़्यादा है कि मैं संशय की स्थिति में बना रहूँ। पिछले पाँच सालों से मेरा मुख्य काम यही रहा है कि मैं ख़ुद को संशय की स्थिति में रखूँ। किसी अंतिम निर्णय पर पहुँचने के बजाय अपने सवालों और जवाबों पर संशय करूँ।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : जीवन
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बुद्ध ने कहा है कि हमारे समझने के लिए कुछ भी नहीं है। इस तरह से कुछ मूलभूत चीज़ें कभी नहीं बदलती। मैं यहाँ पर मृत्यु के बारे में बात नहीं कर रहा, बल्कि मृत्यु के डर के बारे में बात कर रहा हूँ।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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अगर हम रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी एक घटना को ठीक से नहीं बता पाते तो हम पूरे ब्रह्मांड से जुड़े बड़े सवालों के बारे में इतनी आसानी से कैसे सोच सकते हैं?
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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हमारे लेखन में भी एक जिम्मेदारी होती है। हम एक पतली रेखा खींचते है। जीवन की कई सारी चीज़ों को लेकर हम लाचार होते हैं, चाहे वो कला, संस्कृति या विज्ञान से जुड़े हों।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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पिछले पाँच सालों में ये साफ हुआ है कि प्रकृति के विभिन्न तत्वों के बीच में कई संबंध हैं। इन सभी चीजों को पढ़ने और सुनने के बाद मैंने बुद्ध के बारे में सोचना शुरू किया। लगा कि मुझे ये भी जानने की कोशिश करनी होगी कि उन्होंने अपनी मागधी भाषा में क्या कहा है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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हमारे यहाँ पर कई दार्शनिक, लेखक और कवि हुए हैं जिनके बहुत अलग विचार रहे है, लेकिन हमारी अब तक की संस्कृति का इतिहास, ग़लतफ़हमी का इतिहास है। इसके हजारों उदाहरण है। शायद ये पूरे विश्व भर में लागू होता है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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पीड़ा मेरे लिए सबसे बड़ा और ज़रुरी शब्द है। आधुनिक भौतिकीशास्त्र और बुद्ध के विचारों में मैं कई तरह के जुड़ाव देखता हूँ। शायद बुद्ध ने पीड़ा को सामान्य लोगों की तरह ना देखा हो लेकिन पीड़ा का उनके लिए कोई दूसरा अर्थ भी रहा हो।
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हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि सच यथार्थ के पीछे छिपी कोई चीज नहीं है, जैसे कि बहते हुए पानी में एक खास रोचकता और सुंदरता होती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ये प्रवाह ही सच्चाई है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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यूरोप किसी ख़तरनाक अँधेरे कमरे की तरह है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : अँधेरा
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मुझे लगता है कि शेक्सपियर सबके लिए था—सामंतों, वेश्याओं और भी कई लोगों के लिए
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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डॉट या पूर्ण विराम मुझे जरूरी लगता है लेकिन मैं उस स्थिति या समय का इंतजार करता हूँ, जब ये एकदम से ज़रुरी हो।
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हम भ्रामक इतिहास के स्तर पर संपन्न हुए हैं।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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संबंधित विषय : इतिहास
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जब मैं अपने अनुवादकों के साथ काम करता हूँ, तो ये देख पाता हूँ कि भाषा के तौर पर हंगेरियन भाषा में कितनी संभावनाएँ मौजूद हैं। अगर फ्रेंच या स्पेनिश में दो संभावनाएँ मौजूद हैं तो हंगेरियन में दस।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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मुझे लगता है कि जानने जैसा या समझने जैसा कुछ है ही नहीं। ये मेरा काम नहीं है। पूरा ब्रह्मांड एक रहस्य है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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पश्चिम यूरोप में जो पाठक हैं वो ज्यादा रूढ़िवादी हैं, जो पुरानी परंपराओं से आते हैं या उनसे जुड़े हुए हैं।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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हर चीज़ के पीछे के कारण को तलाशना हमेशा ज़रूरी नहीं होता, क्योंकि हर वजह बेबुनियाद होती है। कारण, एक निश्चित नज़रिये से ही कारण दिखाई देता है।
अनुवाद : हरि कार्की
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उपन्यास एक ज़रुरी विधा है, बल्कि क्लासिक उपन्यास भी।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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मेरा ऐसा मानना है कि मैंने अपनी भाषा में अपनी किताब लिख दी, मेरा काम वहीं तक है। उसके बाद जब कोई उस किताब को दूसरी भाषा में अनुवाद करता है, तब वह मेरी किताब के आधार पर एक नई किताब की रचना करता है। वह किताब मेरी नहीं, उसकी होती है। उसकी भाषा, शब्द, सब कुछ उसके होते हैं।
अनुवाद : गीत चतुर्वेदी
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हम इस दुनिया के बारे में निर्णय तब लेते हैं जब हम जवान होते हैं, लेकिन जिस उम्र में मैं हूँ उसमें एक ही काम हो सकता है कि मैं इस दुनिया को पूरी सहानुभूति के साथ देखूँ। सहानुभूति मेरी उम्र के हिसाब से सबसे उचित प्रतिक्रिया हो सकती है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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हर बड़े चिंतक ने हमें ये समझाने की कोशिश की है कि कुछ भी अस्तित्व में नहीं और ना ही कोई अंतिम सत्य है।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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मेरे लिए लेखन एक तरह का प्रतिरोध है। किताब के ज़रिए मैं प्रतिरोध कर सकता हूँ, लेकिन फ़िल्म के ज़रिए नहीं। क्योंकि फ़िल्म में आपकी बाध्यता होती है कि आपको कहानी का साथ नहीं छोड़ना है, जबकि किताब में मैं चाहे जब—कहानी से दूर हटकर अपने विचार प्रस्तुत कर सकता हूँ।
अनुवाद : गीत चतुर्वेदी
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हमें हर हाल में आगे बढ़ना होता है, भले ही कितनी भी ख़तरनाक बाधाएँ हों और भले ही दूर-दूर तक रोशनी ना दिखे।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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आज मुझे अंतर्राष्ट्रीय सम्मान और स्वीकृति मिल रही है इसका कारण सिर्फ़ मेरा लेखन नहीं है; बल्कि असली श्रेय तो उन अनुवादकों को है, जिन्होंने अंग्रेज़ी और दूसरी भाषाओं में मेरा साहित्य पहुँचाया है।
अनुवाद : गीत चतुर्वेदी
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फॉकनर मुझे कुछ हद तक रूढ़िवादी लेखक लगता है। उसने छोटे वाक्यों का इस्तेमाल किया तो उसने उन वाक्यों का इस्तेमाल किया, जो उसे जरूरी लगा।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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मैं फ़िल्मों का आदमी नहीं हूँ, क्योंकि वह दुनिया मुझे कभी पसंद नहीं रही।
अनुवाद : गीत चतुर्वेदी
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एक कवि हमारे सामने खुली आत्मा की तरह होता है। अगर मुझे किसी चीज़ को गहराई तक महसूस करना है, तो किसी कवि को पढ़ता हूँ। मैं गद्य और पद्य को बाँटने वाली लकीर को अच्छी तरह से देख पाता हूँ।
अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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