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व्यक्तित्व पर उद्धरण

साहित्य की आधुनिक समस्या यह है कि लेखक शैली तो चरित्र की अपनाना चाहते हैं, किन्तु उद्दामता उन्हें व्यक्तित्व की चाहिए।

रामधारी सिंह दिनकर

जो व्यक्तित्व कामनाओं का दलन कुछ अधिक दूर तक करता है, उसका व्यक्तित्व व्यक्तित्व रहकर चरित्र बन जाता है।

रामधारी सिंह दिनकर

सवाल व्यक्तित्व के ह्रास का है। बाहर से कोई दबाव हो, तब भी प्रतिष्ठान के निरंतर संबंध से लेखक का व्यक्तित्व धीरे-धीरे गिरता जाता है।

श्रीलाल शुक्ल

एलियट कला को व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं मानते हैं, किन्तु रवीन्द्रनाथ और इक़बाल, दोनों का विचार है कि कला व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति है।

रामधारी सिंह दिनकर

जिसके जीवन में संघर्ष नहीं है, तनाव नहीं है, कर्मठता और उत्साह नहीं है—उसका व्यक्तित्व भी नहीं है।

रामधारी सिंह दिनकर

हमारा व्यक्तित्व जैसा होगा, वैसा ही दुनिया का नक्शा हम बनाएँगे। इसे 'चारित्र्य' कहते हैं।

दादा धर्माधिकारी

व्यक्तित्व का आरम्भ समर का आरम्भ है, जीवन को घेरनेवाली बाधाओं पर आक्रमण का आरम्भ है।

रामधारी सिंह दिनकर

जो हम हो नहीं सकते, उसके लिए प्रयत्न करना बेकार है।

हजारीप्रसाद द्विवेदी

स्वातंत्र्य-महत्ता का जिसमें जितना ऊँचा और प्रखर बोध होता है उसी का व्यक्तित्व अनुशासन की पुष्ट भित्ति पर खड़ा होता है।

कृष्ण बिहारी मिश्र

कुरूप मन ही व्यक्तित्व को विरूप बनाता है।

कृष्ण बिहारी मिश्र

बोल्ड होना आवश्यक आदत है। इसे अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बनाने के लिए इस अभ्यास को करें।

अशदीन डॉक्टर

जहाँ तक प्रकृति का प्रश्न है वहाँ व्यक्तित्व की विषमता नहीं।

कुबेरनाथ राय

व्यक्तित्व के प्रसार में सबसे बड़ी बाधा पुराने मूल्य उपस्थित करते हैं, पुरानी नैतिकता उपस्थित करती है।

रामधारी सिंह दिनकर

चरित्र एकान्तवादी और व्यक्तित्व अनेकान्तवादी होता है।

रामधारी सिंह दिनकर

व्यक्तित्व के पुटपाक का पावक दु:ख ही है।

कुबेरनाथ राय

व्यक्तित्वशाली वह है, जो शंकाओं को अपने चारों ओर मँडराने की छूट देता है।

रामधारी सिंह दिनकर

विचार का विरोध तो हो सकता है, लेकिन आचार में विरोध नहीं होना चाहिए।

महात्मा गांधी