मृत्यु पर ब्लॉग

मृत्यु शब्द की की व्युत्पत्ति

‘म’ धातु में ‘त्यु’ प्रत्यय के योग से से हुई है जिसका अभिधानिक अर्थ मरण, अंत, परलोक, विष्णु, यम, कंस और सप्तदशयोग से संयुक्त किया गया है। भारतीय परंपरा में वैदिक युग से ही मृत्यु पर चिंतन की धारा का आरंभ हो जाता है जिसका विस्तार फिर दर्शन की विभिन्न शाखाओं में अभिव्यक्त हुआ है। भक्तिधारा में संत कवियों ने भी मृत्यु पर प्रमुखता से विचार किया है। पश्चिम में फ्रायड ने मनुष्य की दो प्रवृत्तियों को प्रबल माना है—काम और मृत्युबोध। इस चयन में प्रस्तुत है—मृत्यु-विषयक कविताओं का एक अद्वितीय संकलन।

दुनिया के बंद दरवाज़ों को शब्दों से खोलता साहित्यकार

दुनिया के बंद दरवाज़ों को शब्दों से खोलता साहित्यकार

हर बार जब आरा पहुँचता था, तो रामनिहाल गुंजन जी से ज़रूर मिलता था। इस बार 10 अप्रैल को पहुँचने के बाद उन्हें फ़ोन किया, तो उन्होंने बताया कि घर में कुछ काम लगा रखा है। मुझे लगा कि छत पर कोई कमरा बनवा रहे

सुधीर सुमन
जीवन अपने भाग्य के ख़िलाफ़ आमरण अनशन है

जीवन अपने भाग्य के ख़िलाफ़ आमरण अनशन है

14 सितंबर 2022 कल किसी ने व्हाट्सएप पर एक स्टेटस लगा रखा था। किसी की मृत्यु का। बहुत सुंदर चेहरा था। जवान था। मैंने पूछा - कौन हैं भाई? जवाब आया - शाइर थे! मैंने पूछा - आत्महत्या? जवाब आया - हाँ!

मनमीत सोनी
भूलने की कोशिश करते हुए

भूलने की कोशिश करते हुए

मई 2021 हम किसी दरवाज़े के सामने खड़े हों और भूल जाएँ कि दरवाज़े खटखटाने पर ही उन्हें खोला जाता है। ठीक दूसरी तरफ़ तुम जैसा ही कोई दूसरा हो जिसने आवाज़ें पहचाना बंद कर दिया हो और जो उस चौहद्दी को ह

हरि कार्की

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