फ़्रेडरिक नीत्शे के उद्धरण
विवेक का तक़ाज़ा है कि हम बेपरवाह हों; अवहेलना और उग्रता करने वाले बनें, क्योंकि मानवीय विवेक एक स्त्री के समान है जो योद्धा के अतिरिक्त और किसी को प्रेम नहीं करती।
अनुवाद : पंकज प्रखर
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किसी महान व्यक्ति के अनुयायी प्रायः अपनी आंखें बंद रखते हैं ताकि वे उसका गुणगान अधिक अच्छी रीति से कर सकें।
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एक समय आत्मा को ईश्वर की पदवी प्राप्त थी, फिर यह मनुष्य बनी और अंत में यह केवल एक बाज़ारू जमघट बनकर रह गई है।
अनुवाद : पंकज प्रखर
वह लेखक जो रक्त से लिखता है और कहावतें रचता है; यह नहीं चाहेगा कि लोग केवल उसको पढ़ें, बल्कि यह चाहेगा कि लोग उसे कण्ठस्थ करें।
अनुवाद : पंकज प्रखर
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प्रत्येक मनुष्य जब पढ़ना सीखने की धृष्टता करने लगेगा तो उसको सहन करना एक ऐसी दुर्घटना होगी जिसके फलस्वरूप न केवल लेखन-कला ही, बल्कि विचार-शक्ति भी अंततः विकृत और क्षीण हो जाएगी।
अनुवाद : पंकज प्रखर
वह जो गगनचुंबी पर्वतों पर चढ़ता है, उसे प्रत्येक शोकांत पर हँसी आती है; चाहे वह कोई शोकांत नाटक हो, और चाहे जीवन की कोई असाधारण घटना।
अनुवाद : पंकज प्रखर
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प्रेम में सदा एक प्रकार का पागलपन होता है, पर इस पागलपन में भी एक प्रखर विवेक है।
अनुवाद : पंकज प्रखर
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लेखक अगर अपने पाठकों से परिचित हो जाता तो निश्चय ही वह लिखना बंद कर देता। पाठक अगर एक शताब्दी और ऐसे ही बने रहे तो फिर आत्मा स्वयं ही सड़ जाएगी और वहाँ से दुर्गंध फूट निकलेगी।
अनुवाद : पंकज प्रखर
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पर्वतों की दो चोटियों के बीच की सीधी रेखा ही वहाँ का सबसे छोटा मार्ग होता है, लेकिन उस पर चलने के लिए अत्यंत लंबी टाँगें होनी चाहिए। कहावतें भी, गिरि-शृंगों के समान गगनचुंबी होती हैं। इनको पढ़ने वाले भी महान् और ऊँचे डील-डौलवाले होने चाहिए।
अनुवाद : पंकज प्रखर
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विश्व की समस्त लिखित सामग्री में से मुझे केवल उतना ही भाग प्रिय है, जितना लेखक ने अपने रक्त से लिखा है। रक्त से लिख, और तब तुझे ज्ञात हो जाएगा कि रक्त आत्मा है।
अनुवाद : पंकज प्रखर
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सुसंस्कृत स्वभाव इस बात को जानकर परेशान होता है कि कोई उसके प्रति आभार मानता है किंतु विकृत स्वभाव यह जानकर परेशान होता है कि वह स्वयं किसी के प्रति आभारी है।
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हर गुरु का एक ही शिष्य होता है और वह उसके प्रति निष्ठाहीन हो जाता है, क्योंकि उसकी नियति भी गुरुपन है।
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वह प्रेम का अभाव नहीं है जो शादीशुदा ज़िंदगी को अप्रसन्न बनाता है, बल्कि वह मित्रता का अभाव है।
अनुवाद : आसित आदित्य
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मैं इसलिए उदास नहीं हूँ कि तुमने मुझसे झूठ बोला, मैं इसलिए उदास हूँ; क्योंकि अब आगे से मैं तुम्हारा भरोसा नहीं कर पाऊँगा।
अनुवाद : आसित आदित्य
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जो ढोंगी हर समय एक सा ही अभिनय किया करता है, अन्ततः ढोंगी नहीं रहता है।
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संबंधित विषय : समय
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कभी-कभी लोग सच इसलिए नहीं सुनना चाहते हैं क्योंकि वे नहीं चाहते हैं कि उनका भ्रम चकनाचूर हो जाए।
अनुवाद : आसित आदित्य
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आत्महत्या का विचार एक ख़ूबसूरत सांत्वना है जिसके सहारे हम अनेक स्याह रातें गुज़ार लेते हैं।
अनुवाद : आसित आदित्य
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जो साँप अपना केंचुल न छोड़ सके उसे मरना पड़ता है। ठीक उसी प्रकार वे मस्तिष्क जिन्हें उनकी राय बदलने से रोका जाता है; मस्तिष्क नहीं रह जाते।
अनुवाद : आसित आदित्य
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संबंधित विषय : साँप
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हमेशा की तरह आज भी लोगों को दो समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है—ग़ुलाम और आज़ाद। वह इंसान जिसके दिन का दो-तिहाई भाग उसका अपना नहीं है वह ग़ुलाम है, चाहे वह राजनेता हो, व्यवसायी हो, अधिकारी हो या कोई विद्वान हो।
अनुवाद : आसित आदित्य
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वह जो हमारी जान नहीं ले लेता, हमें और मज़बूत बनाता है।
अनुवाद : आसित आदित्य
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जो कोई भी दानव से लड़ता है उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लड़ाई की प्रक्रिया में कहीं स्वयं वह दानव न बन जाए, क्योंकि जब आप किसी खाई को देर तक टकटकी लगाए देखते हैं तो वह खाई भी आपको घूरना आरंभ कर देती है।
अनुवाद : आसित आदित्य
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हम जितना ऊँचा उड़ेंगे, उतना ही उन लोगों को छोटे नज़र आएँगे जो उड़ नहीं सकते।
अनुवाद : आसित आदित्य
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इस दुनिया में ऐसी कोई ख़ूबसूरत सतह नहीं है जिसकी भयानक गहराई न हो।
अनुवाद : आसित आदित्य
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तुम्हारा अपना रास्ता है, मेरा अपना और जहाँ तक सही और एकमात्र रास्ते का सवाल है तो ऐसे किसी रास्ते का अस्तित्व नहीं है।
अनुवाद : आसित आदित्य
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तुम्हारा अंतःकरण क्या कहता है तुमसे?―”तुम्हें वह होना चाहिए जो तुम हो।”
अनुवाद : आसित आदित्य
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