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हिंसा पर ब्लॉग

हिंसा अनिष्ट या अपकार

करने की क्रिया या भाव है। यह मनसा, वाचा और कर्मणा—तीनों प्रकार से की जा सकती है। हिंसा को उद्घाटित करना और उसका प्रतिरोध कविता का धर्म रहा है। इस चयन में हिंसा विषयक कविताओं को शामिल किया गया है।

हिंसा ही नहीं है हिंदी

हिंसा ही नहीं है हिंदी

हिंदी एक विचारधारा है और यह विचारधारा पुनरुत्थानवादी और सांप्रदायिक है जो किसी प्रतिगामी हिंदी राष्ट्रवाद से अभिज्ञापित की जा सकती है। भाषा एक विचारधारा हो सकती है, यह एक नया विचार है। इस तरह से दे

देवी प्रसाद मिश्र
कल कुछ कल से अलग होगा

कल कुछ कल से अलग होगा

…क्या ज़रूरी है कि आलोकधन्वा की कविताओं पर बात करते हुए यह बताया जाए कि वह एक आंदोलन से निकले हुए कवि हैं? क्या ज़रूरी है कि यह बताया जाए कि उनकी कविताएँ एक विशेष वैचारिक समझ की कविताएँ हैं? क्या ज़रूरी

अविनाश मिश्र

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