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युद्ध पर कविताएँ

युद्ध संघर्ष की चरम

स्थिति है जो एक शांतिहीन अवस्था का संकेत देती है। युद्ध और शांति का लोक, राज और समाज पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। प्रस्तुत चयन में युद्ध और शांति और विभिन्न प्रसंगों में उनके रूपकों के साथ अभिव्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।

सफ़ेद रात

आलोकधन्वा

झोंटा

तादेऊष रूज़ेविच

सीथियाई

अलेक्सांद्र ब्लोक

युद्ध से पहले मेरी माँ

जॉन गुज़लॉवस्की

युग की आवाज़

नीलबीर शर्मा शास्त्री

वियतनाम

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

मोर्चे की ओर

अलेक्सांद्र ब्लोक

दो बूँदें

ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त

मेरे लोग

जॉन गुज़लॉवस्की

काहिरा की एक गली

अशरफ़ अबूल-याज़िद

महाभारत

अच्युतानंद मिश्र

समाधिलेख

निकेफ़ोरॉस व्रेताकॉस

किरोव हमारे साथ है

निकोलाई तिखोनोव

विकिरण रोग

रोबेर्त रोज़्देस्त्वेंस्की

युद्ध और शांति

जॉन गुज़लॉवस्की

गोया

अंद्रेई वोज़्नेसेंस्की

नकबा, 1948’

आमिर हमज़ा

सबक़

आमिर हमज़ा

अगर हो सके

अशोक वाजपेयी

ज़ंग खाई चाबी

आमिर हमज़ा

महाभारत

गोपालकृष्ण रथ

कौन मुझको युद्ध को ललकारता है

कृष्ण मुरारी पहारिया

युद्ध

मोहन सिंह सलाथिया

समर-संवाद

दामिनी यादव

एक चिनगारी के लिए

नवारुण भट्टाचार्य

बहाना

साँवर दइया

युद्ध और तितलियाँ

दीपक जायसवाल

युद्ध

शत्रुघ्न पांडव

एल.ओ.सी. पर

रविंद्र स्वप्निल प्रजापति

फ़ौजी तैयारी

कुँवर नारायण

अगले बारह घंटे

अंजुम शर्मा

तोप

वीरेन डंगवाल

मृत्युबोध

घुँघरू परमार

रामसिंह

वीरेन डंगवाल