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अँधेरा पर कविताएँ

अनु-जों से

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट

लड़की की घड़ी

शिवांगी सौम्या

तीरंदाज़

पावो हाविक्को

अँधेरे वक़्तों में

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट

आधी रात

मान्युएल बान्दैरा

गुरुमंत्र

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट

मैं इस हरे को

ओसिप मंदेलश्ताम

जाड़े की एक रात

टॉमस ट्रांसट्रोमर

जोड़ा

फरूग़ फरूख़ज़ाद

रोशनी से अँधेरे में

सुभाष मुखोपाध्याय

प्रेत लोक में

मक्सिम तान्क

ओ आकाश

ओसिप मंदेलश्ताम

अँधेरे में देखो

राजकुमार मधुवीर

क्रिया

शंख घोष

उज्जीवन

होमेन बरगोहाईं

सब कुछ नहीं अँधेरा

प्रतिभा शतपथी

तुम्हारी याद

आशीष त्रिपाठी

आलिंगन

दाशरथि

अँधेरा

श्रुति कुशवाहा

मेनका : उजाला / अँधेरा

वीरभद्र कार्कीढोली

न हो सिद्धि, साधन तो है

मैथिलीशरण गुप्त

टेमी आसक

प्रणव नार्मदेय

अदालत तले अँधेरा

तृषान्निता

आधी रात

तृषान्निता

पूस की रात

आकांक्षा

अँधकार

प्रदीप सिंह

जानकार

हरिओम राजोरिया

आइसोलेशन, एक कमरा

सौम्या सुमन

अँधेरी यात्रा

किशोर कल्पनाकांत

रात शोक में है

ममता जयंत

तलाश

अजय नेगी

एक शौक़

इंदिरा संत

अंधकार

मधुकांत कल्पित

शाम

आकांक्षा

अरे, कोई तो...

जगदीश जोषी

लोक के लिए

जयंत शुक्ला

कटे-फटे अँधेरे

शोभा अक्षर