संसार पर कहानियाँ
‘संसरति इति संसारः’—अर्थात
जो लगातार गतिशील है, वही संसार है। भारतीय चिंतनधारा में जीव, जगत और ब्रहम पर पर्याप्त विचार किया गया है। संसार का सामान्य अर्थ विश्व, इहलोक, जीवन का जंजाल, गृहस्थी, घर-संसार, दृश्य जगत आदि है। इस चयन में संसार और इसकी इहलीलाओं को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।
फटा हुआ बूट
एलिया कचहरी में बेकार-सा रहता था। उन दिनों लोग कचहरी से दूर ही रहना पसंद करते थे। बड़े से बड़े वकील भी छोटे-छोटे मुक़दमे लेने के लिए मज़बूर थे। एलिया के पास तो कोई भी मुक़दमा न आता, फिर भी वह कचहरी में जाता और वहाँ एकांत में बैठकर अपनी पत्नी को संबोधित