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लौटना पर कविताएँ

लौटना आधुनिक कविताओं

में एक प्रमुख मनोगतता के रूप में अभिव्यक्त है। इस चयन में शामिल कविताओं में लौटने के अनंत भावों को ग्रहण किया का सकता है।

प्रेम लौटता है

गौरव गुप्ता

एक अजीब दिन

कुँवर नारायण

अबकी बार लौटा तो

कुँवर नारायण

देना

नवीन सागर

मैं लौट जाऊँगा

उदय प्रकाश

घर

ममता बारहठ

अगले सबेरे

विष्णु खरे

बार-बार

ममता बारहठ

लौटकर जब आऊँगा

अशोक वाजपेयी

तुम्हारा नाम

राजेंद्र धोड़पकर

अब लौटें

उदय प्रकाश

घर जाने में

पंकज प्रखर

समुद्र की मछली

कुँवर नारायण

मनवांछित

जितेंद्र कुमार

वापस

विष्णु खरे

अकेले में शर्म आती है

रामकुमार तिवारी

दूध के दाँत

गीत चतुर्वेदी

जो युवा था

श्रीकांत वर्मा

लौटना

अजंता देव

भेजना

त्रिभुवन

अच्छा नदी मुझे चलने दो

कृष्ण मुरारी पहारिया

रुक तो जाता

अशोक वाजपेयी

दिनों बाद

नवीन सागर

मैं फिर आऊँगा

भवानीप्रसाद मिश्र

जी भर बात

रामाज्ञा शशिधर

तुममें लौटना

घनश्याम कुमार देवांश

जितना भी लौटे

नवीन सागर

लौटना

प्रभात

तवा

विनोद दास

विकल्प

विष्णु खरे

मैं लौटूँगा

विनय सौरभ

लौटना

सुमेर सिंह राठौड़

उसने लौटने का...

उदयन वाजपेयी

तुम्हें लौटना था

केशव तिवारी

वापसी

राजकमल चौधरी

घर-धाम

श्रीकांत वर्मा

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