तस्वीर पर कविताएँ

तस्वीर किसी व्यक्ति,

वस्तु या दृश्य के अक्स के रूप में प्रेक्षक के अंदर विभिन्न भावों को जन्म देती है और यही कारण है कि वह कभी अपनी वस्तुगत उपस्थिति में तो कभी किसी गुज़र चुके पल के रूपक में कविता के इस्तेमाल का निमित्त बनती रही है।

छूना मत

सविता भार्गव

पिता की तस्वीर

मंगलेश डबराल

तुम अगर सिर्फ़

सारुल बागला

हुलिया

अजंता देव

कैमरे की आँख

मोनिका कुमार

तस्वीर

मंगलेश डबराल

अपनी तस्वीर

मंगलेश डबराल

पुरानी तस्वीरें

मंगलेश डबराल

तस्वीर

मंगलेश डबराल

कवि और कच्चा रास्ता

देवेश पथ सारिया

माँ की तस्वीर

मंगलेश डबराल

वर्मियर की नई नायिका

देवेश पथ सारिया

तस्वीरें

सुभाष राय

सेल्फ़ी

प्रज्ञा सिंह

भगत सिंह की तस्वीर

प्रीति चौधरी

तस्वीर

नवीन सागर

सेल्फ़ी

ऋतेश कुमार

तस्वीर

लाल्टू

मेड्रिड 2019

गिरिराज किराडू

खिड़कियों पर तस्वीरें

अनिमेष मुखर्जी

संगत-असंगत

सुधांशु फ़िरदौस

डरती हूँ

लाल्टू

मोनालिसा

सुमन केशरी

एक ही तस्वीर

ममता बारहठ

पिता की तस्वीर की जगह

उमा शंकर चौधरी

उस लड़की की हँसी

गोविंद माथुर

जीवन और प्रतिबिंब

राघवेंद्र शुक्ल

एकाएक

नरेंद्र जैन

फ़ोटोग्राफर

राहुल राजेश

उसकी छवि को देखते हुए

जोशना बैनर्जी आडवानी

हर तस्वीर

प्रभात त्रिपाठी

अप्रस्तुत की तस्वीर

मीनाक्षी मिश्र

तस्वीर

राकेश मिश्र

फ़ोटो

राजकिशोर राजन

पाश

विजय बहादुर सिंह

एक चित्र

महेश आलोक

सच में आ जाता

प्रभात त्रिपाठी

स्केच (?)

लाल्टू

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