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अरस्तु

384 BC - 322 BC

प्राचीन यूनान के महान दार्शनिक और बहुविद्। 'पश्चिमी दर्शन के जनक' के रूप में समादृत।

प्राचीन यूनान के महान दार्शनिक और बहुविद्। 'पश्चिमी दर्शन के जनक' के रूप में समादृत।

अरस्तु के उद्धरण

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दंड एक प्रकार की औषधि है।

निर्धनता क्रांति और अपराध की जननी है।

मानव के सभी कार्यों के कारणों में इन सात में से एक या अनेक होते हैं—संयोग, प्रकृति, विवशताएँ, आदत, तर्क, मनोभाव, इच्छा।

इतिहास का कलात्मक प्रस्तुतीकरण इतिहास के यथातथ्य लेखन की अपेक्षा अधिक वैज्ञानिक और गंभीर प्रयास है क्योंकि साहित्य की कला वस्तुओं के हृदय तक पहुँचती है। जब कि तथ्यपरक वृत्तांत केवल विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।

भ्रातृ-संघर्ष निर्मम होता है।

दर्शनशास्त्र वह विज्ञान है जो सत्य पर विचार करता है।

मनुष्य की यह विशेषता है कि केवल उसी को अच्छे-बुरे का या उचित-अनुचित आदि का ज्ञान है और ऐसे ज्ञान से युक्त प्राणियों के साहचर्य से ही परिवार और समाज का निर्माण होता है।

इतिहास की अपेक्षा काव्य अधिक दार्शनिक और गंभीरतर अभिप्राययुक्त वस्तु है।

मित्रता का अर्थ है दो शरीरों में रहती एक आत्मा।

जिस प्रकार शरीर में दृष्टि है, उसी प्रकार आत्मा में तर्क है।

क़ानून मनोविकार से मुक्त तर्क है।

क्रांतियाँ क्षुद्र बातों के लिए नहीं हैं किंतु क्षुद्र बातों से उद्भूत होती हैं।

जनतंत्र का उद्भव मनुष्यों के इस विचार से हुआ कि यदि वे किसी अंश में समान हैं तो वे पूर्ण रूप से समान हैं।

कोई भी व्यक्ति क्रुद्ध हो सकता है—यह सरल है। लेकिन सही व्यक्ति पर, सही मात्रा में, सही समय पर, सही उद्देश्य के लिए और सही ढंग से क्रुद्ध होना प्रत्येक की सामर्थ्य में नहीं है और सरल है।

गुप्तचर और सूचक व्यक्ति अत्याचारी शासकों के मुख्य साधन होते हैं। लोगों का ध्यान, दूसरी ओर लगाने तथा अपने को उनमें नेता के रूप में आवश्यक बनाने के लिए युद्ध उनका प्रिय व्यवसाय होता है।

सभी लोग स्वभाव से ही ज्ञान चाहते हैं।

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