Font by Mehr Nastaliq Web

तार्किक पर उद्धरण

बहस के स्वरूप को लेकर जितनी बहस संस्कृत के शास्त्रकारों ने की है, उतनी कदाचित् संसार की किसी अन्य भाषा के साहित्य में नहीं मिलेगी।

राधावल्लभ त्रिपाठी

कुछ शास्त्रार्थ ऐसे भी हुए जिनमें स्त्री उपस्थिति की आँच अभी भी मंद नहीं हुई है। यह भी बहुधा हुआ है कि स्त्री अकेली होने के बावजूद, अपनी प्रखरता और तेजस्विता में पुरुष समाज को हतप्रभ कर देती है।

राधावल्लभ त्रिपाठी

भारतीय समाज मूलतः तर्कप्रवण और वादोन्मुख लोगों का समाज है।

राधावल्लभ त्रिपाठी

क़ानून मनोविकार से मुक्त तर्क है।

अरस्तु

बहस को आगे बढ़ाने वाली विचारों की सीढ़ियाँ अवयव हैं।

राधावल्लभ त्रिपाठी