ग़लत पते की चिट्ठियाँ
एक थी सांदली रानी। खाती सुनार का थी, गाती कुम्हार का थी। सुनार दिन भर पसीना बहाता। उसके लिए सुंदर झुमके और बालियाँ गढ़ता। फिर उसे पहनाता। हर बार बाली और झुमके के लिए उसे कानों में नए छेद करने पड़ते। कान छिदवाने की पीड़ा में उसकी आँखें नम हो जातीं। पर