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शशांक मिश्र

नई पीढ़ी के लेखक।

नई पीढ़ी के लेखक।

शशांक मिश्र के बेला

05 मई 2025

स्पर्श : दुपहर में घर लौटने जितना सुख

स्पर्श : दुपहर में घर लौटने जितना सुख

सोमवार से बहाल हुई दिनचर्या शुक्रवार शाम की राह तकती है—दरमियान का सारा वक़्त अनजाने निगलते हुए। एक जानिब को कभी लगा ही

03 मार्च 2025

क़व्वाली का ‘हाँ-हाँ दुर्योधन बाँध मुझे’ मोमेंट

क़व्वाली का ‘हाँ-हाँ दुर्योधन बाँध मुझे’ मोमेंट

क़व्वाल उस्ताद फ़रीद अयाज़ और उस्ताद अबू मुहम्मद की एक शाम यूट्यूब पर क़ैद है। दूर शहर। घर की अंतरंग महफ़िल। हारमोनियम,

23 जनवरी 2025

उम्मीद का चक्र जब पूरा होता है, तब ज़िंदगी कहाँ होती है!

उम्मीद का चक्र जब पूरा होता है, तब ज़िंदगी कहाँ होती है!

सुंदरता की अपने तहें होती हैं। बहुत मुलायम और क्रूर भी। मन हमेशा इतना ही अनजान रहता है कि वह परतों के इस जमावड़े को भूल

02 जनवरी 2025

‘द लंचबॉक्स’ : अनिश्चित काल के लिए स्थगित इच्छाओं से भरा जीवन

‘द लंचबॉक्स’ : अनिश्चित काल के लिए स्थगित इच्छाओं से भरा जीवन

जीवन देर से शुरू होता है—शायद समय लगाकर उपजे शोक के गहरे कहीं बहुत नीचे धँसने के बाद। जब सुख सरसराहट के साथ गुज़र जाए तो

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