रेल पर कविताएँ
यातायात के आधुनिक साधनों
में से एक रेलगाड़ी ने कालक्रम में मानव-जीवन और स्मृति को व्यापक रूप से प्रभावित किया है और इसकी अभिव्यक्ति कविताओं में भी होती रही है। जहाँ स्वयं जीवन को एक यात्रा के रूप में देखा जाता हो, वहाँ यात्रा का यह साधन नैसर्गिक रूप से कविता का साधन भी बन जाता है। छुक-छुक की आवाज़, गुज़रते स्टेशन, पीछे छूटता घर, पड़ाव, मंजिल आदि कई रूपकों में रेल काव्याभिव्यक्तियों को समृद्ध बनाती रही है। इस चयन में रेल-विषयक कविताओं का एक अनूठा संकलन प्रस्तुत किया गया है।
संबंधित विषय
- अकेलापन
- आवाज़
- इच्छा
- उम्मीद
- ओड़िया कविता
- करुणा
- कवि
- कविता
- कोरोना
- गुजराती कविता
- घर
- चाँद
- चाँदनी
- चीज़ें
- जीवन
- डर
- दिल्ली
- नदी
- नाम
- नींद
- प्रेम
- बच्चे
- भूख
- भाषा
- मज़दूर
- मृत्यु
- मराठी कविता
- माँ
- यात्रा
- रेल
- रूसी कविता
- रात
- लंबी कविता
- लोक
- व्यंग्य
- वर्षा
- वैश्विक कविता
- वियोग
- विस्थापन
- शहर
- शाम
- संघर्ष
- सृजन
- स्त्री
- संबंध
- स्मृति
- समय
- हवा