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नश्वर पर उद्धरण

मानव शरीर की नश्वरता

धार्मिक-आध्यात्मिक चिंतन के मूल में रही है और काव्य ने भी इस चिंतन में हिस्सेदारी की है। भक्ति-काव्य में प्रमुखता से इसे टेक बना अराध्य के आश्रय का जतन किया गया है।

संस्कृति के मूल बीज कभी मरते नहीं हैं।

कुबेरनाथ राय

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