देश पर कविताएँ

देश और देश-प्रेम कवियों

का प्रिय विषय रहा है। स्वंतत्रता-संग्राम से लेकर देश के स्वतंत्र होने के बाद भी आज तक देश और गणतंत्र को विषय बनाती हुई कविताएँ रचने का सिलसिला जारी है।

धीरे-धीरे

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

सफ़ेद रात

आलोकधन्वा

लेख

अनीता वर्मा

कथा देश की

रमाशंकर यादव विद्रोही

पटकथा

धूमिल

चरवाहा

गोविंद निषाद

मैं और देश

अंकिता आनंद

देशभक्त हे!

आर. चेतनक्रांति

सीलमपुर की लड़कियाँ

आर. चेतनक्रांति

उठ जाग मुसाफ़िर

वंशीधर शुक्ल

क़दम क़दम बढ़ाए जा

वंशीधर शुक्ल

आज़ादी के मूल्य

गोविंद निषाद

रात-गाड़ी

वीरेन डंगवाल

आम के बाग़

आलोकधन्वा

अनोखा देश

जगन्नाथ प्रसाद दास

युगावतार

सोहनलाल द्विवेदी

बेदख़ली

प्रभात

पिता और देश

विजया सिंह

उस्मान अली

नारायण सुर्वे

एक पशु-कथा

सुरजीत पातर

अनिद्रा में

सविता सिंह

जन-गण-मन

रमाशंकर यादव विद्रोही

देश का नक़्शा

सी. नारायण रेड्डी

सबेरा हुआ है

वंशीधर शुक्ल

मैं बनारसी हूँ

सदानंद शाही

ग्यारहवाँ घर

नरेंद्र जैन

देश

विनोद दास

प्रार्थना

रवीन्द्रनाथ टैगोर

लगभग जयहिंद

विनोद कुमार शुक्ल

पानी

आलोकधन्वा

नया देश है रज़िया बी

पायल भारद्वाज

पंद्रह अगस्त

शंकर शैलेंद्र

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