समकालीन पर ब्लॉग

वर्तमान दौर के लिए भी

प्रासंगिक रहे और आधुनिक इतिहास के नियत परिप्रेक्ष्य से संबंधित रचनाओं से एक चयन।

नई कविता नई पीढ़ी ही नहीं बनाती

नई कविता नई पीढ़ी ही नहीं बनाती

समय की समझदारी का चेहरा तत्कालीन पीढ़ियों के कई सारे लोग मिल कर बनाते हैं। समकालीन कविता के महत्त्वपूर्ण कवि-लेखक राजेश जोशी से उनकी रचनाओं के आस-पास या यूँ कहें उनके रचना-समय के आस-पास पिछले दिनों एक

कुमार मंगलम
पंक्ति प्रकाशन की चार पुस्तकों का अंधकार

पंक्ति प्रकाशन की चार पुस्तकों का अंधकार

‘कवियों में बची रहे थोड़ी लज्जा’ मंगलेश डबराल की इस पंक्ति के साथ यह भी कहना इन दिनों ज़रूरी है कि प्रकाशकों में भी बचा रहे थोड़ा धैर्य―बनी रहे थोड़ी शर्म।  कविता और लेखक के होने के बहुतायत में प्र

पंकज प्रखर

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए