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वियोग पर कविताएँ

वियोग संयोग के अभाव

या मिलाप न होने की स्थिति और भाव है। शृंगार में यह एक रस की निष्पत्ति का पर्याय है। माना जाता है कि वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास। प्रस्तुत चयन में वियोग के भाव दर्शाती कविताओं का संकलन किया गया है।

एक और ढंग

श्रीकांत वर्मा

पार करना

प्रदीप सैनी

इच्छा

सौरभ अनंत

यह कहकर

विनोद कुमार शुक्ल

प्रेम में

सुधांशु फ़िरदौस

बाहर बारिश

अविनाश मिश्र

जाते हुए थोड़ा-सा जाना

विनोद कुमार शुक्ल

पलाश

मनोज कुमार पांडेय

तुम अगर सिर्फ़

सारुल बागला

नमक पर यक़ीन ठीक नहीं

नवीन रांगियाल

स्पर्श

मदन कश्यप

कोई तो

रचित

इतना भर प्रेम

गौरव गुप्ता

दाख़िल-ख़ारिज

सुधांशु फ़िरदौस

रेलपथ

बेबी शॉ

मेरा साथ न छोड़ना

गैब्रिएला मिस्ट्राल

पति-पत्नी

निखिल आनंद गिरि

बेटी का स्कूल

निखिल आनंद गिरि

उसने उससे कहा

महमूद दरवेश

मन में क्षीण होती है याद

अन्ना अख्मातोवा

दुपहर का सूरज

सी. पी. कवाफ़ी

तुम्हें मेरी याद

सोतिरिस स्किपिस

एक गिटार-गीत

लियोपोल्ड सेडार सेंगोर

आया नहीं आज कोई पत्र

अन्ना अख्मातोवा

मैं लिखूँगी प्रेम

स्मिता सिन्हा

मौलसिरी

सुतिंदर सिंह नूर

रहमान, सलमा और मैं

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

आँधी

विजय राही

बिछड़ना

विजय राही

बिछुड़न की रात का काजल

वीरेंद्र कुमार जैन

तुम केवल मिला ही करो

सुतिंदर सिंह नूर

कैसे रहोगे

पंकज चतुर्वेदी

टूटता वृक्ष

वसु गंधर्व

जन्म

स्मृति प्रशा

वही नहीं है

अशोक वाजपेयी

हिज्र

सुधांशु फ़िरदौस

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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