Font by Mehr Nastaliq Web

वियोग पर सबद

वियोग संयोग के अभाव

या मिलाप न होने की स्थिति और भाव है। शृंगार में यह एक रस की निष्पत्ति का पर्याय है। माना जाता है कि वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास। प्रस्तुत चयन में वियोग के भाव दर्शाती कविताओं का संकलन किया गया है।

चूनर मेरी मैली भई

संत शिवदयाल सिंह

बिचालै नदी बहै जी

तुरसीदास निरंजनी

हरि बिन ए दिन जात दुखारे

तुरसीदास निरंजनी

पिया दरस बिना

तुलसी साहब

सुरतिया सोग भरी

संत शिवदयाल सिंह