वृंदावनलाल वर्मा के उद्धरण

स्त्रियाँ दृढ़ता का कवच पहनें तो फिर संसार में ऐसा पुरुष कोई हो ही नहीं सकता जो उनको लूट ले।
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तल्लीनता के साथ शून्य ध्यान में मग्न हो जाना यही असली ध्यान है।
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संबंधित विषय : ध्यान
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मैं कहूँगा और फिर कहूँगा। समय कहेगा और संसार कहेगा। इतिहास कहेगा और कहानियाँ कहेंगी। मुझे मार डालो, इससे आप लोगों की अपकीर्ति का प्रवाद रुकेगा नहीं।
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संबंधित विषय : इतिहास
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भारत के पहाड़, जंगल, नदी-नाले, विस्तृत क्षेत्र और लंबे-चौड़े अंतर, अनगिनत छोटे बड़े राज्यों की संख्या और जनपदों के खंडों की भिन्नता को बढ़ाने में सदा से सहायक रहे हैं, परंतु एक छोर के विचार और मत के दूसरे छोर तक पहुँचने में न तो वे और न उनके उत्पादन—अनेक छोटे बड़े राज्य, रजवाड़े और भिन्न-भिन्न जनपदों के सीमाबद्ध संकुचित खंड कभी बाधक हो पाए हैं।
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शंकर उत्पन्न हुए सुदूर दक्षिण में और अपने विरोधी को हराने को तथा अपने मत के प्रचार के लिए भी पहुँच गए कश्मीर। चैतन्य हुए दूरवर्ती बंगाल में और उनके मत के प्रचारकों ने अपना संस्थान बनाया वृंदावन में!! तक्षशिला का ब्राह्मण कांची के विद्यालय में और कांची का कश्मीर और काशी में!!! गंगा और गोदावरी का नाम उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम के छोर-छोर तक, घर-घर में, जंगल में, पर्वत की कंदराओं में—मानो हिमालय, विंध्याचल, सह्याद्रि सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हों।
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यह हमारे देश का सौभाग्य है कि अतिपतनोन्मुखी युग में भी महान नर-नारी हुए हैं जो मार्ग-दर्शन करते हुए अपनी छाप छोड़ गए।
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