खिड़की पर उद्धरण
खिड़की कमरे या दीवार
का वह निर्माण है जिससे बाहर की हवा, रोशनी, आवाज़ अंदर आ सकती है। इसे आवश्यकतानुसार खोला या बंद किया जा सकता है। कविता में खिड़की या गवाक्ष या झरोखे का प्रयोग बहुअर्थी आयामों में होता रहा है।

पश्चिम का कलाकार रूप (फ़ार्म) की खिड़की से देखकर वस्तु को संवेद्य बनाता है, उसका संप्रेषण करता है। भारत का कलाकार प्रतीक की खिड़की से वस्तु को नहीं, वस्तु के पार वस्तु-सत् को संवेद्य बनाता है।

जीवन की खिड़की में से ही परमात्मा की झाँकी मिलनी संभव है।