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छाया पर कविताएँ

छाया, छाँव, परछाई विषयक

कविताओं का चयन।

हमसफ़र

सुधांशु फ़िरदौस

साथ

वेणु गोपाल

छाया मत छूना

गिरिजाकुमार माथुर

भूरे की हर छाया

जुज़ेपे उंगारेत्ती

साया

रमेश क्षितिज

छाया की बड़ाई में

होर्खे लुइस बोर्खेस

छायाओं की दुनिया

हंस माग्नुस एन्त्सेंसबर्गर

परछाइयाँ

देवरकोण्ड बालगंगाधर तिलक

बुलावा

केहरि सिंह मधुकर

धरती पर जीवन सोया था

रामकुमार तिवारी

छाया

जी. शंकर कुरुप

ख़ाकी छायाएँ

सुदीप बनर्जी

जेठ

सुधीर रंजन सिंह

ये एक रात का साया है

प्रकृति करगेती

एक सवाल

अंकुर मिश्र

उसकी छाया

कंचन जायसवाल

दिन तीन पाँव के

राजेश राजभर

बुढ़ापा

राजेश राजभर

मैं हर रात

चित्रा सिंह

मेरी परछाई

ममता जयंत

छाया मत छूना मन

आशुतोष दुबे

परछाईं

चावलि बंगारम्मा

साये का रास्ता

चंद्रकुमार

लौ

चंद्रकुमार

वृक्ष और छाया

मनोहर श्याम जोशी

होगा

अहर्निश सागर

छाया

सीताकांत महापात्र

सो लूँगा कुछ देर

नंदकिशोर आचार्य

पानी की परछाईं

दिलीप शाक्य

एक कोई अडोल

विनाेद शाही

शहर और उसकी छाया

उत्कर्ष पांडेय

ईश्वर तुम्हारी परछाई है

पुरुषोत्तम प्रतीक

परछाईं

हेमंत शेष

टूटी रोशनी

साैमित्र मोहन

परछाई

आकांक्षा

छाया

भगवत रावत

प्रतीति

गिरधर राठी

परछाइयाँ

शिव कुमार गांधी

धूप

प्रियंकर पालीवाल

छाया का वरदान

प्रमिला शंकर