Font by Mehr Nastaliq Web

चाँद पर कविताएँ

चाँद मनुष्य का आदिम

सहयात्री है जो रात्रि-स्याह के सुख-दुःख में उसका संगी-साथी हो जाता है। प्रेमिल बिंबों-प्रतीकों के साथ ही किसी कवि की ही कल्पना ने उसे देवत्व तक सौंप दिया है।

सफ़ेद रात

आलोकधन्वा

चंदा मामा

आकिको हायाशी

चाँद का बच्चा

अफ़सर मेरठी

सुनहरे पहाड़

तादेऊष रूज़ेविच

हमसफ़र

सुधांशु फ़िरदौस

चाँद पर

ओसिप कोलीशेव

शरद पूर्णिमा

अरमान आनंद

श्रावण पूर्णिमा

राजेश सकलानी

चाँद पर नाव

हेमंत कुकरेती

दो शहर एक रात

गौरव गुप्ता

चाँद

ध्यान सिंह

नशीला चाँद

हरिनारायण व्यास

आते हैं

पंकज चतुर्वेदी

चाँद की वर्तनी

राजेश जोशी

चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

शमशेर बहादुर सिंह

कौन

बालस्वरूप राही

चाँद का मुँह टेढ़ा है

गजानन माधव मुक्तिबोध

डूबता चाँद कब डूबेगा

गजानन माधव मुक्तिबोध

हसदेव

प्राची

अगली सुबह

योगेंद्र गौतम

धूल, गंध और पतंगें

अशोक कुमार पांडेय

चाँद और खच्चर

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

चाँद की आत्महत्या

सी. नारायण रेड्डी

तुम चाँद हो

चंदन यादव

एक धुरी जिस पर

चित्रा सिंह

चाँद

कुमार मंगलम

पूर्णमासी रात भर

शकुंत माथुर

समय की चाल

ऋतु त्यागी

जीवन का दृश्य

अमर दलपुरा

ख़्वाब

माधुरी

चाँद और सूरज

दामिनी यादव

चमकता चाँद

मधु सिंह

देखते रहने के लिए

निशांत कौशिक

विराम

पूनम अरोड़ा

चाँद की चोरी

अरुण शीतांश

चाँद के पैर

श्रुति कुशवाहा

संघर्ष

सुनील झा

चाँद की पूरी रात में

सुरेंद्र स्निग्ध