तुम चाँद हो

tum chand ho

चंदन यादव

चंदन यादव

तुम चाँद हो

चंदन यादव

और अधिकचंदन यादव

    जैसे चंद्रमा पर होते हैं

    दाग़ कई और

    ऊबड़-खाबड़ गड्ढे

    वैसै ही तुम्हारे चेहरे पर

    नाक और होंठो का

    उतार-चढ़ाव

    और काली आँखें मानो जैसे

    काम करती हैं नज़रबट्टू का

    और मेरी नज़रों से बचा लेती हैं तुम्हे

    चंद्रग्रहण, मतलब मैं

    तुम चंद्रमा और मैं चंद्रग्रहण

    हज़ारों-लाखों उल्का-पिंडों से

    तुम्हें बचाने का प्रयास करता

    तुम पर जब ये पृथ्वीवासी डालते

    दुष्ट नज़र अपनी और लगाते कलंक

    मैं चंद्रग्रहण तुम्हारे पास जाता और

    आँखों में किरकिरी-सा चुभता उन सभी की

    तुम ही बस जानती हो मेरे होने के मायने

    वह हमारे एक होने का वक़्त

    बादलों को पहरेदार बनाते अपने घर का

    और बादल निकल पड़ता

    अपनी मख़मली बदरी को देख

    खगोलविदों और वैज्ञानिकों ने शायद कभी प्रेम नहीं किया

    अन्यथा वे बड़े-बड़े यंत्रों और टेलिस्कोपों से नही ताकते हमें

    और ही हमारी गरिमा को भंग करते

    बस उनकी नज़रें इंतज़ार में होती है

    मेरे लौट जाने के उस रोज़

    अब मेरे जाने का समय है

    मैं फिर लौटूँगा

    जब कभी कोई मानवीय उपग्रह तुम्हारी गरिमा को

    ठेस पहुँचाएगा

    मैं उसके जीवन पर अपने शुक्र-शनि थोप दूँगा

    और बचाए रखूँगा तुम्हारा अस्तित्व

    मैं थोड़ा निर्लज्ज हूँ

    तुमसे विपरीत

    तुम पृथ्वी का बनाकर परदा बदलती हो

    अपने वस्त्र

    लेती हो पंद्रह दिन सजने-सँवरने में

    और अगले पंद्रह मेरे वियोग में ढल जाती हो

    जब लोग देने लगते तुम्हें अनेकों उपमाएँ

    तुम्हें देख, सोच और याद कर

    कवि लिखता है, कविता और

    प्रेमी रातें जग-जग प्रेमपत्र

    जब कोई नया लड़का किसी लडक़ी को

    चाहने लगेगा मन ही मन

    और घबराहट से जूझता देगा थमा

    उसे प्रेम-प्रस्ताव

    या किसी सात वर्षीय लड़की की कहानी में

    तुम बनकर जाओगी उसका मामा बनकर

    और उसके दिल में ठहर जाओगी

    उसके सोलह वर्षीय होने तक और

    उसको एहसास कराओगी कि तुम भी चंद्रमा हो

    यह मेरे लौटने का समय होगा...

    स्रोत :
    • रचनाकार : चंदन यादव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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