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बच्चे पर कवितांश

हिंदी के कई कवियों ने

बच्चों के वर्तमान को संसार के भविष्य के लिए समझने की कोशिश की है। प्रस्तुत चयन में ऐसे ही कवियों की कविताएँ संकलित हैं। इन कविताओं में बाल-मन और स्वप्न उपस्थित है।

अपने बच्चों के शरीर का स्पर्श सुखद है

उनकी तोतली बोली सुनना

कान के लिए सुखद है।

तिरुवल्लुवर

संतान के प्रति

पिता का कर्त्तव्य है—

उसे विद्वानों की सभा में

अग्र स्थान दिलाना

तिरुवल्लुवर