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धनी पर उद्धरण

तुम्हारे इन अट्टहासों के कारण हज़ारों आँखें आँसुओं से भरी हुई हैं।

किशनचंद 'बेवस'
  • संबंधित विषय : आँख

जब तक मेरे पास दो कोटों के होते हुए कोई व्यक्ति बिना कोट के रहेगा तब तक मैं भी इस संसार में निरंतर होते रहने वाले एक पाप का भागीदार बना रहूँगा।

लियो टॉल्स्टॉय

जगत् में प्रायः धनवानों में खाने और पचाने की शक्ति नहीं रहती है और दरिद्रों के पेट में काठ भी पच जाता है।

वेदव्यास

यह पुत्र-स्नेह धनी तथा निर्धन के लिए समान रूप से सर्वस्व धन है। यह चंदन तथा ख़श से भिन्न हृदय का शीतल लेप है।

शूद्रक

जिस धनी पुरुष का जन्म याचक जन की इच्छा को पूर्ण करने के लिए नहीं है, उस पुरुष से ही यह पृथ्वी अत्यंत भार वाली है, कि पेड़ों या पर्वतों या समुद्रों से।

श्रीहर्ष

जिसके पास भगवद्-भक्ति, भगवद्-प्रेम है—वही इस संसार में धनी है। ऐसे व्यक्ति के समक्ष महाराजाधिराज भी दीन भिक्षुक के समान है।

सुभाष चंद्र बोस

जब मैं गहनों से लदे हुए उन अमीर-उमरावों को भारत के लाखों ग़रीब आदमियों से मिलाता हूँ तो मुझे लगता है कि मैं इन अमीरों से कहूँ", "जब तक आप अपने आप ये ज़ेवरात नहीं उतार देते और उन्हें ग़रीबों की धरोहर मान कर नहीं चलते तब तक भारत का कल्याण नहीं होता।"

महात्मा गांधी

समृद्धिशाली पुरुष दूसरे की स्तुति सहन नहीं करते हैं

वाल्मीकि