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सुमिरन पर सबद

इष्ट और गुरु का सुमिरन

भक्ति-काव्य का प्रमुख ध्येय रहा है। प्रस्तुत चयन में सुमिरन के महत्त्व पर बल देती कविताओं को शामिल किया गया है।

बारहमासा

तुलसी साहब

संतो! खेती की रुति आई

हरिदास निरंजनी

मन की मन ही माहिं रही

गुरु तेगबहादुर

राम-राम सभु को कहै

गुरु अमरदास

आदि अनादि मेरा साँई

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

राम रस मीठा रे

हरिदास निरंजनी

प्रानी! परमपुरुष पग लागो

गुरु गोविंद सिंह

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