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यून फ़ुस्से

1959

प्रशंसित नॉर्वेजियन लेखक और नाटककार। वर्ष 2023 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

प्रशंसित नॉर्वेजियन लेखक और नाटककार। वर्ष 2023 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

यून फ़ुस्से के उद्धरण

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विभिन्न धर्म अलग-अलग भाषाएँ हैं, जिनमें प्रत्येक की अपनी सच्चाई हो सकती है और सच्चाई की कमी हो सकती है और ऐसा सोचना मूर्खतापूर्ण है कि ईश्वर किसी प्रकार से परिभाषित है, जिसके बारे में आप कुछ भी कह सकते हैं।

जीवन में जो सुंदर है, वह पेंटिंग में ख़राब हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इसमें बहुत अधिक सुंदरता है। एक अच्छी तस्वीर को जिस तरह से चमकना चाहिए, उसके लिए उसमें कुछ बुरा होना आवश्यक है। उसे अँधेरे की आवश्यकता होती है।

मुझे लगता है कि व्यक्ति ईश्वर से आता है और ईश्वर के पास वापस जाता है, क्योंकि शरीर की कल्पना की जाती है और जन्म होता है, यह बढ़ता है और घटता है, यह मर जाता है और ग़ायब हो जाता है; लेकिन जीवात्मा शरीर और आत्मा का मेल है, जिस तरह एक अच्छी तस्वीर में आकार और विचार का अदृश्य संगम होता है।

भाषा स्वयं सुनती है।

कविता की रचना सुनने से जुड़ी है।

ईश्वर इतना दूर है कि कोई भी उसके बारे में कुछ नहीं कह सकता है और यही कारण है कि ईश्वर के बारे में सभी विचार ग़लत हैं और साथ ही वह इतना क़रीब है कि हम उसे देख ही नहीं सकते, क्योंकि वह व्यक्ति में आधार या रसातल है। आप इसे जो चाहें कह सकते हैं।

जब पेंटिंग की बात आती है तो सबसे महत्त्वपूर्ण चीज़ों में से एक है—सही समय पर रुकने में सक्षम होना और यह जानना कि कोई तस्वीर क्या कह रही है, वह क्या कह सकती है। अगर आप बहुत लंबे समय तक लगे रहते हैं तो अक्सर तस्वीर बर्बाद हो जाएगी।

व्यक्ति के अंदर वह है जो समाप्त हो जाएगा और वह उसके साथ मिल जाएगा जो हर चीज़ में अदृश्य है।

हर किसी के अंदर एक गहरी लालसा होती है। हम हमेशा किसी किसी चीज़ के लिए लालायित रहते हैं और हम मानते हैं कि हम जिस चीज़ के लिए लालायित रहते हैं वह यह या वह है, यह व्यक्ति या वह व्यक्ति, यह चीज़ या वह चीज़ है; लेकिन वास्तव में हम ईश्वर के लिए लालायित रहते हैं, क्योंकि मनुष्य सतत प्रार्थना है। व्यक्ति अपनी लालसा के माध्यम से एक प्रार्थना है।

प्रत्येक भाषा आपको वास्तविकता के अपने हिस्से तक पहुँच प्रदान करती है।

क्या आप दुखी होने पर भी ख़ुश रह सकते हैं?

मैं बस ग़लतियाँ करता हूँ और उन्हें ग़लत होने देता हूँ, क्योंकि अक्सर ग़लतियाँ ही होती हैं जो अंततः कुछ सही कर देती हैं।

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हम मात्र एक, ‘भटकन’ हैं, अपनी आत्मा के विशाल दृश्यों में कोई अर्थ ढूँढ़ते हुए।

प्यार, आशा और निराशा के बीच एक काँपता हुआ पुल है।

हमारे शब्दों के बीच जो जगहें हैं, उनमें छिप कर रहता है सत्य और झूठ प्रकट होता है।

दुःख, साथी है सुख का। जीवन की अलग-अलग ऋतुओं में वे साथ नृत्य करते हैं।

हमारे अस्तित्व का आधार हमारी वह इच्छा है जिसे हम संबंधों में ढूँढते हैं।

जिन शब्दों को हमने कहा नहीं, उनमें ही सबसे गूढ़ अर्थ छुपे हैं।

भाषा हमारे विचारों को परिभाषित करती है, लेकिन मौन हमारी आत्मा को पोषण देता है।

हम जीवित तो हैं, लेकिन हम जी नहीं रहे, हम और आप। लेकिन हम उस अद्वितीय, अनंत क्षण की आशा ज़रूर रखते हैं।

हमारे भीतर जो अन्धकार है, वही अन्धकार रात के आकाश में भी है। दोनों के अपने-अपने रहस्य हैं। प्रकट होने की प्रतीक्षा में।

दूसरों को सचमुच समझने के लिए, हमें पहले ख़ुद को समझना होगा।

‘चुप्पी’ की ताकत, हमारे होने की गहराई का पता लगाने में होती है, जहाँ शब्द नहीं पहुँच पाते।

यदि हम वे कहानियाँ नहीं हैं, जो हम ख़ुद को सुनाते हैं, तो फिर हम कौन हैं?

भीतर जो शून्य है, उसका आलिंगन हो। यही वह है जो अनंत संभावनाओं को जन्म देता है।

हमारे घाव हमारी सहनशीलता के स्मरण हैं। जो युद्ध हमने लड़े और जीते, वे उनकी कथाएँ कहते हैं।

हर मुलाक़ात हमारे अस्तित्व को एक नया आकर देती है। लोगों से मिलने के बाद हम सदैव के लिए परिवर्तित हो जाते हैं।

समय एक विह्वल नदी है, जो हमें अस्तित्व की धाराओं के बीच से ले जाती है।

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दुनिया एक मुश्किल जगह है, लेकिन सरलता इसमें है कि हम इस दुनिया को देखते कैसे हैं।

जिन जवाबों की हमें तलाश थी, उन्हें हम अक्सर अपनी चुप्पियों में पाते हैं।

हमारा अस्तित्व, अनंत विशालता में एक नाज़ुक प्रतिध्वनी है।

किसी भी चीज़ के, ‘मायने’ का प्रश्न, हर मानव प्रयास के पीछे की शक्ति है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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