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थॉमस एडिसन

1847 - 1931 | ओहियो

विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक, आविष्कारक और उद्योगपति। विद्युत, संचार, ध्वनि रिकॉर्डिंग और चलचित्र जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान।

विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक, आविष्कारक और उद्योगपति। विद्युत, संचार, ध्वनि रिकॉर्डिंग और चलचित्र जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान।

थॉमस एडिसन के उद्धरण

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आत्मा के लिए अच्छा अंतःकरण वैसा ही है जैसा शरीर के लिए स्वास्थ्य।

दानशीलता हृदय का गुण है, हाथों का नहीं।

महानता के लिए अपनी प्रतिद्वंद्विता के द्वारा संपूर्ण युग को विभक्त कर देने वाले प्रतिद्वंद्वियों के बीच की बातों को ठीक कर देना भावी पीढ़ियों का ही विशेष अधिकार है।

वही मनुष्य महान है जो भीड़ की प्रशंसा की उपेक्षा कर सकता है और उसकी कृपा से स्वतंत्र रहकर प्रसन्न रहता है।

जैसे उत्साह स्त्रियों का गुण है, उसी तरह गंभीरता पुरुषों का।

नास्तिकता द्वारा अस्वीकृत सभी महान सत्यों को स्वीकार करने में जितनी श्रद्धा की आवश्यकता है, उससे अनन्त गुनी श्रद्धा नास्तिक बनने के लिए आवश्यक है।

वार्तालाप में अच्छा स्वभाव वाग्विदग्धता की अपेक्षा अधिक सुखकर होता है और वह व्यक्तित्व को एक ऐसी आत्मा प्रदान करता है जो सौंदर्य की अपेक्षा अधिक प्यारी होती है।

देखो कि ईसाई कितनी शांतिपूर्वक मर सकता है।

कैसी दयनीय बात है कि हम स्वदेश की रक्षार्थ एक बार मर सकते हैं।

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पुस्तकें महान प्रतिभा के द्वारा मानव जाति के लिए छोड़ी गई पैतृक संपत्ति हैं, जो पीढ़ी पीढ़ी को सौंपी जाने के लिए हैं, मानों वे अभी अजन्मे व्यक्तियों के लिए दिए गए उपहार हों।

अन्य किसी वस्तु को हम इतनी अनिच्छा से नहीं स्वीकारते जितना उपदेश को।

कोई भी यथार्थतः मूल्यवान वस्तु ऐसी नही है जो कष्टों श्रम के बिना ख़रीदी जा सके।

यदि प्रसिद्धि प्राप्त व्यक्ति निंदा का विषय बनते हैं तो साथ ही चापलूसी का भी। यदि उनकी ऐसी निंदाएँ भी की जाती है जो अनुचित हैं, तो उसी प्रकार उनकी ऐसी प्रशंसाएँ भी तो की जाती हैं जिनके वे पात्र नहीं हैं।

यह भावी पीढ़ियों का ही विशेष अधिकार है कि वे उन विरोधियों के मध्य के विवादों को ठीक-ठाक कर दें, जिन्होंने महानता के लिए परस्पर प्रतिद्वंद्विता के कारण सम्पूर्ण युग को विभक्त कर दिया था।

सुंदर दृष्टि मौन को वाचाल बना देती है। कृपालु दृष्टि विरोध को सहमति बना देती है। क्रुद्ध दृष्टि सौंदर्य को विकृत बना देती है।

भोलेपन से युक्त हँसमुख स्वभाव, सौंदर्य को आकर्षक, ज्ञान को आनंदप्रद, और वाग्विदग्धता को प्रिय बना देता है। यह बीमारी, निर्धनता और वेदना को हलका कर देता है, अज्ञान को प्रिय सरलता में बदल देता है और विकृति को रुचिकर बना देता है।

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