Font by Mehr Nastaliq Web
Bal Gangadhar Tilak's Photo'

बाल गंगाधर तिलक

1856 - 1920 | रत्नागिरी, महाराष्ट्र

बाल गंगाधर तिलक के उद्धरण

ज़माने की हवा का रुख पहिचानकर देश के नेता अपने कार्यक्रम में सुधार नहीं करते हैं तो ज़माना आगे निकल जाएगा और नेता पीछे रह जाएँगे। ज़माना नेताओं के लिए रुका नहीं रहेगा।

स्वदेश ही नहीं समूचे विश्व का व्यवहार जिसके बल पर सुचारु रूप से चलता है, उसे ही धर्म कहते हैं।

मैं न्याय माँग रहा हूँ, दया की भीख नहीं। जूरी में से एक भी व्यक्ति यदि यह राय दे देता है कि राजद्रोह के अभियोग से मैं पूर्णरूपेण निर्दोष हूँ, और मैंने जो कुछ भी क्रिया ठीक किया, तो मैं संतोष कर लूँगा।

शरीर में प्राणों को जो स्थान है, वही राष्ट्र में नेता को प्राप्त है।

  • संबंधित विषय : देह

Recitation