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राधा पर उद्धरण

कृष्ण-भक्ति काव्यधारा

में राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन प्रमुख विषय रहा है। राधा कृष्ण की सहचरी के रूप में अराध्य देवी हैं, जिनके नाम का अर्थ पूर्णता और सफलता है। राधा-कृष्ण को शाश्वत युगल कहा जाता है और राधा के बिना कृष्ण अपूर्ण कहे गए हैं। प्रस्तुत चयन में राधा की महत्ता की स्थापना करते काव्य-रूपों का संकलन किया गया है।

सूरदास के काव्य में कृष्ण से राधा और दूसरी गोपियों का प्रेम, सामंती नैतिकता के बंधनों से मुक्त प्रेम है।

मैनेजर पांडेय

सूरदास की सौंदर्य चेतना की विकसित अवस्था, राधा के सौंदर्य-चित्रण में दिखाई पड़ती है।

मैनेजर पांडेय

सूरदास के बहुत पहले से भक्ति और काव्य के क्षेत्र में राधा का परकीया रूप स्वीकृत था, लेकिन सूरदास ने उसे स्वीकार नहीं किया। सूर ने राधा को स्वकीया के रूप में ही उपस्थित किया है।

मैनेजर पांडेय

राधा किसी एक कवि की कल्पना से उत्पन्न नारी चरित्र नहीं है। राधा का व्यक्तित्व भारतीय संस्कृति की विकास-प्रक्रिया में अनेक चिन्मय धाराओं के संघात का परिणाम है।

मैनेजर पांडेय

कृष्ण राधा की आस्था हैं और राधा कृष्ण की कामना। कृष्ण और राधा का संयोग-वियोग, आस्था और कामना का ही संयोग-वियोग है।

मैनेजर पांडेय