कवियों की उर्मिला-विषयक उदासीनता
कवि स्वभाव ही से उच्छृंखल होते हैं। वे जिस तरफ़ झुक गए। जी में आया तो राई का पर्वत कर दिया; जी में न आया तो हिमालय की तरफ़ भी आँख उठाकर न देखा। यह उच्छृंखलता या उदासीनता सर्वसाधारण कवियों में तो देखी ही जाती है, आदि कवि भी इससे नहीं बचे। क्रौंच पक्षी
महावीर प्रसाद द्विवेदी
हिंदी-साहित्य और मुसलमान कवि
सभी देशों के इतिहास में भिन्न जातियों के पारस्परिक संघर्षण के उदाहरण मिलते हैं। उनसे यही सिद्ध होता है कि ऐसे ही संघर्षण से सभ्यता का विकास होता है। भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न अवस्था के कारण विभिन्न जातियों के विभिन्न आदर्श होते हैं। जब एक जाति