शाम पर बेला
दिन और रात के बीच के
समय के रूप में शाम मानवीय गतिविधियों का एक विशिष्ट वितान है और इस रूप में शाम मन पर विशेष असर भी रखती है। शाम की अभिव्यक्ति कविताओं में होती रही है। यहाँ प्रस्तुत चयन में शाम, साँझ या संध्या को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।
हिन्दवी उत्सव : 27 जुलाई को बँधेगा समाँ
प्रिय हिंदी-प्रेमियो, हम आपको सहर्ष यह सूचित कर रहे हैं कि ‘रेख़्ता फ़ाउंडेशन’ का उपक्रम ‘हिन्दवी’—हिंदी-साहित्य-संस्कृति-कला-संसार को समर्पित अपने वार्षिकोत्सव—‘हिन्दवी उत्सव’ के पाँचवें संस्करण
‘हिन्दवी उत्सव’ 2024 : आप सादर आमंत्रित हैं
हिंदी साहित्य को समर्पित रेख़्ता फ़ाउंडेशन के उपक्रम ‘हिन्दवी’ की चौथी वर्षगाँठ के मौक़े पर आज—28 जुलाई 2024 के रोज़, त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में ‘हिन्दवी उत्सव’ आयोजित किया जा रहा है